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राजस्थान में AI से पैदा हुआ दुर्लभ पक्षी का बच्चा, ऐसा करने वाला भारत बना दुनिया का पहला देश

नई दिल्ली: सीमावर्ती जैसलमेर जिले के सुदासारी गोडावण प्रजनन केंद्र में कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के जरिए गोडावण के बच्चे का जन्म हुआ है. दावा किया जा रहा है कि ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है, अब इस प्रक्रिया से विलुप्त होने जा रही इस दुर्लभ प्रजाति को बचाया जा सकेगा. डीएफओ आशीष […]

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  • October 23, 2024 2:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: सीमावर्ती जैसलमेर जिले के सुदासारी गोडावण प्रजनन केंद्र में कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के जरिए गोडावण के बच्चे का जन्म हुआ है. दावा किया जा रहा है कि ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है, अब इस प्रक्रिया से विलुप्त होने जा रही इस दुर्लभ प्रजाति को बचाया जा सकेगा. डीएफओ आशीष व्यास ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला मामला है, जब आर्टिफिशियल गर्भाधान की मदद से प्रजनन कर गोडावण तैयार किया गया है. इस तरह गोडावण के स्पर्म को बचाने से बैंक बनाने और उसकी आबादी बढ़ाने में मदद मिलेगी.

तिलोर पक्षी पर ऐसा परीक्षण किया

डीएफओ (Divisional Forest Officer) आशीष व्यास ने बताया कि इंटरनेशनल फंड फॉर होउबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन अबू धाबी (IFHC) में तिलोर पक्षी पर ऐसा परीक्षण किया गया था और यह सफल रहा. भारत के भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wii) के वैज्ञानिक भी पिछले साल वहां गए थे और इस तकनीक को सीखा था. इसके बाद गोडावण पर ऐसे परीक्षण के प्रयास शुरू किये गये. आर्टिफिशियल ऑर्गैनिस्म के लिए रामदेवरा स्थित गोडावण प्रजनन केंद्र में स्थित सुदा नामक नर गोडावण को प्रशिक्षित किया. उनके स्पर्म इकट्ठा किए गए. शुक्राणु को सुदासारी स्थित प्रजनन केंद्र ले जाया गया. 20 सितम्बर को टोनी नामक फीमेल गोडावण का आर्टिफिशियल ऑर्गैनिस्म कराया गया.

आर्टिफिशियल फीमेल बनाकर…

टोनी ने 24 सितंबर को एक अंडा दिया और उस अंडे की देखभाल की गई. आखिरकार वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा ये हुआ कि 16 अक्टूबर को गोडावण का चूजा अंडे से बाहर आ गया. इस चूजे की देखभाल की गई. चूजे को करीब एक हफ्ते तक निगरानी में रखा गया और उसके सभी मेडिकल टेस्ट किए गए. अब चूजा स्वस्थ है. DFO आशीष व्यास ने बताया कि इस विधि को आर्टिफिशियल गर्भाधान (AI) कहा जाता है. यह गोडावण पर किया गया पहला परीक्षण है. इस विधि में नर गोडावण के सामने आर्टिफिशियल फीमेल बनाकर रखी जाती है. फिर उसे संभोग के लिए प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वह शुक्राणु दे सके, वह भी बिना संभोग के. इस तरह मेल को ट्रेनिंग देने में करीब 8 महीने लग गए. अब चूजे के बड़े होने के बाद इसका नाम AI के नाम से रखने की योजना है.

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