नई दिल्ली. एक कारोबारी की तरफ से ‘रामायण’ शब्द का ट्रेडमार्क के तौर पर इस्तेमाल करने वाली अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि रामायण, कुरान जैसे धर्मग्रंथों के नामों पर कोई भी व्यक्ति अपना दावा नहीं कर सकता.
सुप्रीम कोर्ट का ये भी कहना है कि धार्मिक ग्रंथों को वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के लिए ट्रेडमार्क के तौर पर इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि रामायण, कुरान, बाइबल, गुरु ग्रंथ साहिब आदि पवित्र और धार्मिक ग्रंथ हैं. यदि कोई पूछे कि क्या कोई व्यक्ति वस्तुओं या सेवाओं की बिक्री के लिए किसी धर्मग्रंथ के नाम का ट्रेडमार्क के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है तो इसका जवाब है नहीं.
बेंच ने कहा कि ईश्वर या धर्मग्रंथों के नाम का इस्तेमाल ट्रेडमार्क के तौर पर करने की अनुमति देने से लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं.
क्या है मामला ?
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला बिहार के एक कारोबारी की अपील पर दिया है. उन्होंने अपनी याचिका में रामायण शब्द का ट्रेडमार्क अगरबत्ती और इत्र बेचने के लिए मांगा था. जिसके बाद बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड ने अपीलकर्ता के खिलाफ आदेश दिया था, जिसको उन्होंने कोर्ट में चुनौती दी थी.