लन्दन. ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवासी कानून के तहत फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि वहां कोई अपने पति या पत्नी के साथ रहने आता है तो उसे अंग्रेजी बोलना जरुर आना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को अब अनिवार्य कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले से वहां रहने वाले हजारो प्रवासियों की ज़िन्दगी पर असर पड़ेगा. यहां ज्यादातर एशियाई देशों के नागरिक हैं.
क्या है मामला?
यह मामला ब्रिटेन की साइका बीबी और सफाना अली दो महिला नागरिकों द्वारा लाया गया था जिनकी मांग थी कि उनके पति यमन और पाकिस्तान के रहने वाले हैं और अब वह परिवार के साथ बिट्रेन में आकर रहना चाहते है. लेकिन अंग्रेजी नहीं आने के कारण उन्हें ब्रिटेन आने में मुश्किलें आ रही रहीं है. इन महिलाओं का कहना है कि अंग्रेजी सीखने और इसका टेस्ट पास करने के लिए उनके पतियों को पहले तो कंप्यूटर सीखना होगा. फिर लंबी दूरी तय करके आना-जाना होगा. उन्होंने तर्क दिया कि यूरोपीयन कन्वेशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ईसीएचआर) के अनुच्छेद-8 के तहत उनके ‘राइट टु अ प्राइवेट ऐंड फैमिली लाइफ’ (पर्सनल और पारिवारिक जीवन जीने का अधिकार) का हनन हो रहा है.
इस पर पांच जजों एक पैनल ने महिलाओं के दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह नियम स्पाउस वीजा रूल के अंदर आती है और इस नियम के एक भाग को ऐसे लागू करना अतार्किक, भेदभावपूर्ण और असंगत होगा.