नई दिल्ली/ चेन्नई. सरकार ने ग्लोबल एनजीओ ग्रीनपीस का इंडिया में रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया है. तमिलनाडु के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज ने तीन साल का रिटर्न समय पर दाखिल नहीं करने और विदेशी चंदे के हिसाब में गड़बड़ी के आरोप में ग्रीनपीस से इंडिया यूनिट को एक महीने के अंदर भंग करने कहा है.
तमिलनाडु के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज ने नोटिस जारी कर ग्रीनपीस इंडिया से इन सवालों का जवाब मांगा था लेकिन ग्रीनपीस इंडिया के जवाब से असंतुष्ट रजिस्ट्रार ने उसे एक महीने के अंदर सोसायटी भंग करने का आदेश दिया है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो रजिस्ट्रार लिक्विडेटर को एप्वाइंट करके इसे बंद करा देंगे.
कैंसिलेशन ऑर्डर के मुताबिक ग्रीनपीस ने वित्तीय वर्ष 2004-05, 05-06 और 09-10 का सालाना रिटर्न 6 महीने के अंदर पेश नहीं किया जबकि नियम के अनुसार ऐसे संगठनों को एजीएम के 6 महीने के अंदर रिटर्न पेश करना होता है. आदेश में विदेश से मिले फंड और रिटर्न में दिखाए गए आय-व्यय में अंतर को भी अहम मसला बताया गया है.
सरकार असहमति के प्रति बहुत ही असहिष्णु है- ग्रीनपीस इंडिया
रजिस्ट्रेशन कैंसिल होने पर ग्रीनपीस ने कहा है कि ये फैसला असहमति को लेकर सरकार की असहिष्णुता दर्शाता है. ग्रीनपीस इंडिया की अंतरिम निदेशक विनुता गोपाल ने कहा, “यह स्पष्ट है कि तमिलनाडु रजिस्ट्रार पूरी तरह दिल्ली में बैठे गृह मंत्रालय के निर्देश पर काम कर रहा है जो काफी समय से ग्रीनपीस इंडिया को बंद कराने पर तुला हुआ है.”
विनुता ने कहा, “गृह मंत्रालय द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति की आवाज को दबाने का यह प्रयास सरकार के लिए न सिर्फ देश में बल्कि विश्व स्तर पर शर्मिंदगी का सबसे बड़ा कारण बन गया है. यह इस बात को दर्शाता है कि सरकार दूसरे की आवाज सुनने को तैयार नहीं है और असहमति के प्रति बहुत ही असहिष्णु है.”
मद्रास हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ अपील करेगा एनजीओ
उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार ने यह फैसला ग्रीनपीस का पक्ष सुने बगैर ही ले लिया है. उन्होंने अरोप लगाया कि रजिस्ट्रार ने मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को भी नहीं माना है जिसमें उसे आदेश दिया गया था कि वह ग्रीनपीस द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों और बिंदुओं पर गौर करे.
विनुता ने कहा कि हमारे पास मजबूत कानूनी आधार है जिससे हम मद्रास हाईकोर्ट को अवगत कराएगें और इस कैंसिलेशन नोटिस पर स्टे देने की मांग करेगें.