प्रयागराज: उमेश पाल मर्डर के बाद पुलिस चौकन्नी हो गई थी। इसी कड़ी में पुलिस ने सारे फोन नंबर सर्विलांस पर लिए थे। इनमें से ज्यादातर अतीक अहमद नेटवर्क के लोगों से जुड़े थे। अब खबर आई है कि करीब 800 नंबर अचानक से बंद हो गए हैं। ऐसे में अब मामले की जांच कर […]
प्रयागराज: उमेश पाल मर्डर के बाद पुलिस चौकन्नी हो गई थी। इसी कड़ी में पुलिस ने सारे फोन नंबर सर्विलांस पर लिए थे। इनमें से ज्यादातर अतीक अहमद नेटवर्क के लोगों से जुड़े थे। अब खबर आई है कि करीब 800 नंबर अचानक से बंद हो गए हैं। ऐसे में अब मामले की जांच कर रही पुलिस टीम के लिउए मुश्किलें बढ़ जाती हैं। अब उन नंबरों और उनसे जुड़े लोगों को ट्रेस करना मुश्किल होगा। पता चला है कि ये नंबर अतीक और अशरफ की हत्या के बाद बंद होने लगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने शूटरों की तलाश और मामले की जांच के लिए कई फोन नंबरों को सर्विलांस पर रखा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इनमें से करीब 800 नंबर बंद किए जा चुके हैं। नंबरों की क्लोजिंग प्रोसेस अभी भी जारी है। पुलिस ने बंद नंबरों की जांच शुरू कर दी है। उन सभी नंबरों की कॉल डिटेल भी पता की जा रही है। बता दें, इन नंबरों में शूटरों के दोस्तों और रिश्तेदारों और अतीक अहमद की जमीन खरीदने-बेचने में शामिल लोगों के नंबर भी शामिल थे।
आपको बता दें, नंबरों के बंद होने का सिलसिला अतीक और अशरफ की हत्या के बाद शुरू हुई। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सनी, लवलेश और अरुण। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है। मामले में कई बड़े खुलासे भी हुए हैं। मालूम हो कि तीनों पीआर ने एक दिन पहले यानी 14 अप्रैल को अतीक को मारने की योजना बनाई थी। उस दिन अतीक और अशरफ को ट्रायल के लिए प्रयागराज कोर्ट में पेश किया गया था। हालांकि, कड़ी सुरक्षा के कारण, आरोपियों के पास कोई मौका नहीं था और वो फरार हो गए। फिर सभी शूटर्स ने अगले दिन हत्याकांड को अंजाम दिया गया।
पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ कि अतीक के तीन शूटर्स में से एक लवलेश तिवारी भी था। लवलेश को सोशल मीडिया के जरिए मशहूर होने की जबरदस्त ख्वाहिश थी। वहीं तीनों हत्यारों में सनी सिंह को सबसे ज्यादा अपराधी माना जाता था। पुलिस ने कहा कि तीनों आरोपी पहली रात को अपने थ्योरी पर कायम रहे। पुलिस का मानना है कि आरोपी पुलिस को गुमराह भी कर रहे हैं। लवलेश तिवारी बार-बार दोहराता रहा कि उसने पैसा और शोहरत कमाने के लिए सनी सिंह और अरुण माफिया को मारा। लेकिन इस अपर पुलिस को शक है।
शूटर सन्नी सिंह ने दोहराया कि मेरा कोई आका (सरगना) नहीं है। मैं खुद डॉन हूं। जब पुलिस ने अरुण मौर्य से पूछा कि जिगाना जैसी खतरनाक और महंगी बंदूक किस दोस्त ने उसे दी है, तो जवाब था कि उसे नहीं पता था कि यह इतनी कीमती बंदूक है, वह इसे एक अच्छा हथियार मानता हैं। सनी सिंह पूछताछ के दौरान सुंदर भाटी से संपर्क करने की बात को कबूल किया है। सनी ने कहा कि सुंदर भाटी से संपर्क हमीरपुर जेल में बंद रहने के दौरान हुआ, लेकिन जेल बदलने के बाद फिर कभी उससे बात-चीत नहीं हुई।