मिसाल: हिंदू-मुस्लिम ने किया करार, अब कभी नहीं लड़ेंगे

एक तरफ बीफ के मुद्दे पर देश के कई हिस्सों में तनाव का माहौल बना हुआ है तो वहीं महाराष्ट्र के रत्नागिरी के छोटे से गांव ने सद्भावना की एक बेहतरीन मिसाल पेश की है. रत्नागिरी के बुरोंडी गांव के हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर एक ऐसा करार किया है, जिसके मुताबिक गांव वाले अब कभी भी सांप्रदायिक झगड़ा नही करेंगे. 100 रुपये के स्टांप पेपर पर हुए उस करार को इसी साल जनवरी महीने में नोटरी भी कराया गया है.

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मिसाल: हिंदू-मुस्लिम ने किया करार, अब कभी नहीं लड़ेंगे

Admin

  • October 20, 2015 5:51 am Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago
मुंबई. एक तरफ बीफ के मुद्दे पर देश के कई हिस्सों में तनाव का माहौल बना हुआ है तो वहीं महाराष्ट्र के रत्नागिरी के छोटे से गांव ने सद्भावना की एक बेहतरीन मिसाल पेश की है. रत्नागिरी के बुरोंडी गांव के हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर एक ऐसा करार किया है, जिसके मुताबिक गांव वाले अब कभी भी सांप्रदायिक झगड़ा नही करेंगे. 100 रुपये के स्टांप पेपर पर हुए उस करार को इसी साल जनवरी महीने में नोटरी भी कराया गया है.
 
बुरोंडी गांव के निवासी प्रदीप जगन्नाथ सुर्वे जिसके नाम पर स्टांप पेपर खरीदा गया है, के मुताबिक 25 साल पहले गांव में किसी बात को लेकर सांप्रदायिक झगड़ा हुआ था. उसके बाद से जब भी कोई त्योहार आता गांव में तनाव फैल जाता. छोटी बात पर भी दोनो धर्मों के लोग आमने-सामने आ जाते.
 
इसलिये साल 2014 में दोनो ही धर्मों के लोगों ने बैठकर तय किया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए आगे से हम झगड़ा नहीं करेंगे. मकबूल आजम मस्तान का कहना है कि इस करार के जरिये हम भाईचारे की ऐसी मिसाल पेश करना चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी प्यार से और मिलजुल कर रहें. बुरोंडी गांव रत्नागिरी के दापोली में समंदर किनारे बसा है और हिन्दू या मुस्लिम ज्यादातर गांव वालों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना है. 

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