मुंबई. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में शुक्रवार को पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के समर्थकों पर तीखा हमला किया है. सामना के संपादकीय का शीर्षक ‘गुलाम अली के गुलाम’ नाम से छापा गया है. इसमें आगे लिखा गया है कि शिवसेना ने ना सिर्फ गुलाम अली के कार्यक्रम का विरोध किया बल्कि अपनी राष्ट्रभक्ति की सिंहगर्जना से उसे रद्द भी करा दिया.
शिवसेना के अनुसार यह कर के उन्होंने पाकिस्तान के कायरायना हमलों में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की है. जो पाकिस्तान रोज हिन्दुस्तान की सीमा पर और सीमा के अंदर खून बहा रहा है, उस खून में भीगे गजल के सुर जिनके कान तृप्त करते है, उनकी राष्ट्रभावना साफतौर पर बहरी है.
लोगों पर निशाना साधते हुए सामना के पेज-3 पर लिखा गया है कि शराब की पिचकारी उड़ाने वालों को ही ये सब सूझता है. इन्हें शहीद जवानों की कुर्बानी याद नहीं आती, बल्कि गुलाम अली पर प्यार उमड़ता है. पाकिस्तानियों की घुसपैठ सिर्फ सीमा पार नहीं बल्कि आईपीएल, टीवी सीरियल्स, कॉमेडी शो में भी बढ़ गई है. सामना के अनुसार ऐसा करके ये चैनल वाले और इन कार्यक्रमों के प्रायोजक शहीदों के बलिदान का मजाक उड़ा रहे है. उसे रोको, वरना अनर्थ हो जाएगा. ये चेतावनी हम स्वदेशी ‘गुलामों’ को दे रहे है. समझने वालों को इशारा काफी है.
सामना में लिखा है कि लता मंगेशकर, आशा भोसले, अमिताभ बच्चन जैसे कलाकारों पर पाकिस्तान जाने पर पाबंदी के खिलाफ गुलाम अली क्यों अपनी आवाज नहीं उठाते? यहां पाकिस्तानी हमलों में शहीद होते जवानों पर क्या गुलाम अली कभी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे? पाकिस्तानी हरकतों पर नाराजगी जताएंगे? जो ये कर सके वही कलाकार मानवतावादी है.