गुजरात में जब यह घटना हुई, उस समय नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। इस दंगे की आंच उन तक भी पहुंची। मार्च 2002 में गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया गया।
नई दिल्ली। विक्रांत मैसी की बहुचर्चित फिल्म द साबरमती रिपोर्ट आज रिलीज हो गई है। 2 घंटे 3 मिनट की यह फिल्म 2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड पर आधारित है। 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस की S6 बोगी में हुई आगजनी में मारे गए 59 कारसेवकों की कहानी फिल्म में कही गई है। रिलीज से पहले ही फिल्म विवादों में हैं। विक्रांत कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। उन्हें और उनके नवजात बच्चे तक को जान से मारने की धमकी दी जा रही। आइये आज जानते हैं पीएम मोदी के शासनकाल में हुए गोधरा कांड के बारे में-
इस दंगा में हजार से ज्यादा लोग मारे गए, जिसमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। राज्य में हालात इतने ख़राब हो गए थे कि तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी थी। 2011 में फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने यह माना कि गोधरा कांड एक साजिश थी। जिसमें साजिश के तहत कट्टरपंथियों ने हिंदुओं को मारा। हिंसक भीड़ का मुख्य उद्देश्य अयोध्या से लौटे तीर्थयात्रियों को सबक सीखाना था। इसके लिए लाउड स्पीकर से ऐलान किया गया था।
गुजरात में जब यह घटना हुई, उस समय नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे। इस दंगे की आंच उन तक भी पहुंची। मार्च 2002 में गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह इसके सदस्य बने गए। आयोग ने सितंबर 2008 को रिपोर्ट का पहला हिस्सा पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश करार दिया गया। पीएम मोदी, उनके मंत्रियों और अन्य बड़े अफसरों को क्लीन चीट दे दी गई। दिसंबर 2019 में इस रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा भी पेश किया गया, इसमें भी पीएम मोदी को क्लीन चीट मिला।
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