जयपुरः राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को ओबीसी आरक्षण 21 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी कर दिया गया है. यह व्यवस्था गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण देने के लिए की गई है. बुधवार को ओबीसी (अन्य पिछड़ा जाति वर्ग) आरक्षण संशोधन बिल विधानसभा में पेश किया गया था. गुरुवार को इस बिल पर बहस हुई, जिसके बाद इसे पास कर दिया गया. गुर्जरों को आरक्षण दिए जाने के लिए काफी वक्त से इस पर मंथन चल रहा था. गुर्जरों ने आरक्षण की मांग को लेकर कई बार आंदोलन भी किए. बुधवार को सदन में चौथी बार आरक्षण संबंधी संसोधन बिल पेश किया गया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को विधानसभा में बिल पेश करने पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार भी लगाई. कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस संबंध में अवमानना नोटिस भी भेजा. अवमानना नोटिस जारी करने की वजह यह था कि कोर्ट ने सरकार को कहा था कि पहले वह राज्य में ओबीसी का क्वांटिफाइड डाटा पेश करे उसके बाद आगे की कार्यवाही करे. सरकार ने कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए गुरुवार को बिल पास कर दिया.
इस मामले में हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि 1993 के बाद अब तक सरकार ने ओबीसी का क्वांटिफाइड डाटा पेश नहीं किया है. डाटा पेश किए बगैर ही सरकार ने धौलपुर और भरतपुर के जाटों को ओबीसी में शामिल कर लिया. सरकार अब ओबीसी आरक्षण को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने जा रही है. क्वांटिफाइड डाटा बनाए बिना सरकार अपनी मनमानी कर रही है. कोर्ट ने इसे 10 अगस्त, 2015 के आदेश की अवमानना माना.
आरक्षण बिल में संसोधन के बाद यह 50 फीसदी के पार हो रहा है. हालांकि, आरक्षण की सीमा पर सरकार ने नया तर्क दिया है. सरकार का कहना है कि वह नोटिफिकेशन से आरक्षण की व्यवस्था कर रही है. साल 1994 में जातियों की संख्या 54 थीं, मगर अब 91 जातियां हो गईं हैं. जिस अनुपात में जातियां और जनसंख्या बढ़ीं हैं, अब उस अनुपात में आरक्षण देने की जरुरत है. सरकार का कहना है कि साल 1931 की जनसंख्या के आधार पर राजस्थान में कुल 49 फीसदी आरक्षण है, अब जिसे बढ़ाने की जरुरत है.