BHU में दूसरे दिन भी जारी रहा छात्राओं का आंदोलन, बातचीत की सारी कोशिशें नाकाम

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की छात्राओं का विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा. शुक्रवार को पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले परिसर में छेड़खानी के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में आक्रोशित छात्राएं सड़क पर उतर आईं और नारेबाजी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया था

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BHU में दूसरे दिन भी जारी रहा छात्राओं का आंदोलन, बातचीत की सारी कोशिशें नाकाम

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  • September 23, 2017 6:26 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की छात्राओं का विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा. शुक्रवार को पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले परिसर में छेड़खानी के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर बड़ी संख्या में आक्रोशित छात्राएं सड़क पर उतर आईं और बीएचयू की गेट पर नारेबाजी कर प्रदर्शन शुरू कर दिया था. छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर कई आरोप लगाते हुए अपनी मांगों पर अड़ी हुई हैं. 
 
आंदोलन पर बैठी छात्राओं ने विश्वविद्यालय से स्वतंत्रता, समता, सुरक्षा शिक्षा व शांति की मांग की है. छात्राओं का कहना है कि विश्वविद्यालय परिसर में छेड़खानी के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. परिसर के सभी अंधेरे रास्तों और चौक-चौराहों पर लाइटिंग की उचित व्यवस्था की जाए. परिसर की सुरक्षा में लगे गार्डों को सुरक्षा के लिए और जिम्मेदार बनाया जाए. 
 
 
बता दें कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है. ये उमय की बात है जब छात्रा हॉस्टल जा रही थी, भारत कला भवन के पास कुछ युवकों ने छेडख़ानी की. छेड़खानी के दौरान कॉलेज की सुरक्षाबल से मदद न मिलने खफा लड़कियां धरने पर बैठ गईं और विरोध में बाल तक मुंडवा दिए. 
 
ये हैं प्रमुख मांगें-
 
– परिसर के सभी प्रशासनिक कर्मचारियों एवं अध्यापकों में लैंगिक संवेदनशीलता लायी जाए.
 
– सभी छात्राओं के लिए छात्रावास कर्फ्यू टाइंमिंग्स हाटाई जाएं. 
 
– महिला छात्रावासों के लिए अधिकारीगण तथा सहायक कर्मचारी में सामंजस्य को बढ़ावा दिया जाए. 
 
– लापरवाह व गैर जिम्मेदार सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ जल्द-जल्द उचित कार्रवाई की जाए. 
 
 
 
– विश्वविद्यालय परिसर के विभिन्न प्रवेश द्वारों पर चेक पॉइंट बनाया जाए.
 
– महिला छात्रावास में खाने के व्यंजन और सभी आहारों में समता हों.
 
– सुरक्षा के लिए महिला कर्मियों की भर्ती की जाए.
 
– परिसर में प्रत्येक संकाय या संस्थान स्तर पर लैंगिक संवेदनशीलता के प्रसार के कार्यक्रम अनिवार्य करता है.
 
– परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाए और प्रॉक्टर की जवाब देही तय हो.
 
– परिसर के मुख्य द्वारों पर सीसीटीवी कैमार से निगरानी की व्यवस्था की जाए.

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