कांवरियों के कपड़े सिलता कलीम कहता है, ‘मैं हज कर आऊं, दुआ करना’

गोरखपुर. हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल गोरखपुर में देखने को मिली जब सावन के महीने में कांवरियों के लिए कपड़े सिलने वाले मो. कलीम कहते हैं कि इस काम से हमारा कोई रूहानी रिश्ता है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल गोरखपुर से हजारों की संख्या में कांवरिया पवित्र […]

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कांवरियों के कपड़े सिलता कलीम कहता है, ‘मैं हज कर आऊं, दुआ करना’

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  • August 8, 2015 1:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 years ago

गोरखपुर. हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल गोरखपुर में देखने को मिली जब सावन के महीने में कांवरियों के लिए कपड़े सिलने वाले मो. कलीम कहते हैं कि इस काम से हमारा कोई रूहानी रिश्ता है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल गोरखपुर से हजारों की संख्या में कांवरिया पवित्र गंगा जल लाने के लिए बिहार के सुल्तानगंज जाते हैं. इन कावंरियों की खास ड्रेस को सिलने का काम एक मुस्लिम परिवार करता है.  

कलीम इस काम में आने की भी एक कहानी बताते हुए कहते हैं कि 13 साल पहले एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा हुआ था और कपड़ सिल रहा था कि तभी एक कांवरिया आया और उसने मुझ से अपने लिए एक कांवरिया ड्रेस बनाने के लिए कहा. कावंरिया पैसे देने में असमर्थ था तो कलीम ने उससे बिना पैसे लिए उसकी लिए ड्रेस सिली.  

हालांकि अगले दिन कांवरिया अपने साथ दर्जनों कावरियों को लेकर आया और उन सबने मुझे उनकी पोशाकें सिलने का काम और उस काम के पैसे दिए. इस दिन से ही कलीम कांवरियों के लिए ड्रेस सिलने का काम कर रहे हैं. कलीम कहते हैं कि वह सभी कांवरियों से अपने लिए हज करने की दुआ करने के लिए कहते हैं.

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