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दिल्लीः मरीजों की सेवा करने वाली CATS एंबुलेंस खुद ICU में, तेल भराने के भी पैसे नहीं, ये है वजह

मेडिकल क्षेत्र में दिल्ली की लाइफलाइन कही जाने वाली सेंट्रलाइज्ड एक्सीडेंट एंड ट्रॉमा सर्विसेज़ (कैट्स) खुद इमरजेंसी में है. 265 में से 50 से ज्यादा एंबुलेंस खराब पड़ी हैं और कई एंबुलेंस रख-रखाव और उपकरणों की कमी से जूझ रही हैं.

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Delhi CAT ambulance off road
  • September 18, 2018 5:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः मेडिकल क्षेत्र में राजधानी दिल्ली की इमरजेंसी सर्विस सेंट्रलाइज्ड एक्सीडेंट एंड ट्रॉमा सर्विसेज़ (कैट्स) इस समय खुद आईसीयू में है. वर्तमान में कैट्स फंड की कमी, उपकरणों की कमी, खराब रख-रखाव जैसी तमाम समस्याओं से जूझ रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की सेवा कर रही हर पांचवी कैट्स एंबुलेंस बदहाली का सामना कर रही है. बीते रविवार की बात करें तो दर्जनों कैट्स एंबुलेंस तेल न होने की वजह से मरीजों को लाने ले जाने में असमर्थ रहीं. एक एंबुलेंस के ड्राइवर ने बताया कि रविवार को उनके पास आने वाली दर्जनों कॉल्स को इस वजह से रिसीव नहीं किया गया क्योंकि एंबुलेंस में तेल डलवाने के पैसे ही नहीं हैं.

BVG UKSAS EMS प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जिनके पास कैट्स एंबुलेंस चलाने का जिम्मा है, की ऑपरेशन हेड निवेदिता पटनायक ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि उनके पास फंड की कमी है, जिसकी वजह से एंबुलेंस में तेल नहीं भर पा रहा है. किसी तरह काम चलाया जा रहा है. 265 में से 50 एंबुलेंस रिपेयरिंग के लिए भेजी गई हैं. इनमें 4 एडवांस लाइफ सपोर्ट, 30 बेसिक लाइफ सपोर्ट और 10 ट्रांसपोर्ट एंबुलेंस हैं. अन्य एंबुलेंस भी रख-रखाव और उपकरणों की कमी से जूझ रही हैं. दरअसल इस सबकी वजह कंपनी का पेमेंट को लेकर राज्य सरकार के साथ चल रहा विवाद है.

बताते चलें कि साल 2006 में राज्य सरकार ने टेंडर के तहत BVG UKSAS EMS प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को कैट्स एंबुलेंस की जिम्मेदारी सौंपी थी. निवेदिता पटनायक ने कहा कि राज्य सरकार पर कंपनी का 40 करोड़ रुपये बकाया हैं. बकाया पूरा होने तक एंबुलेंस सेवा को सुचारू रूप से चलाने में असमर्थ हैं. हमने इस बारे में सरकार को कई बार पत्र भी लिखा है लेकिन अभी तक कंपनी का बकाया पूरा नहीं हो सका है. निवेदिता कहती हैं कि हमें हर रोज एंबुलेंस के लिए लगभग 1200 फोन आते हैं. हमारी कोशिश रहती है कि जरूरतमंद को एंबुलेंस सेवा मुहैया कराई जा सके.

कैट्स के डायरेक्टर आरपी मीणा कहते हैं कि पैसों को लेकर कोई विवाद नहीं है. एग्रीमेंट के मुताबिक हर महीने की 15 तारीख को 70 फीसदी पैसों का भुगतान कर दिया जाता है. बाकी का पेमेंट रिकॉर्ड्स के आधार पर किया जाता है. इसमें एक पॉइंट यह भी है कि अगर 95 फीसदी एंबुलेंस रोजाना नहीं चलते हैं तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जाएगा. कंपनी इसके खिलाफ है और इसी वजह से उनके अकाउंट से हर बार जुर्माने की रकम काट ली जाती है. कंपनी की यह भी शिकायत है कि उन्हें अतिरिक्त किलोमीटर का भुगतान नहीं किया जाता है.

इसके जवाब में कैट्स अधिकारी कहते हैं कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके पास किसी भी एक्सट्रा ट्रांसपोर्टेशन का रिकॉर्ड नहीं होता है. बताते चलें कि जुलाई 2016 से नवंबर 2017 तक 9 बार कैट्स कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल और प्रदर्शन कर चुके हैं. एस्मा लगाने की चेतावनी और सरकार की सख्ती के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल वापस ली. इस बारे में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है.

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