पटना: वो कहते हैं ना कि शादी में दूल्हे के साथ साथ पूरी बारात भी खाती है. ऐसा ही कुछ सृजन घोटाले में भी हुआ. सरकार से मिलने वाले करोड़ों रूपये की बंदरबांट हुई. इस बंदरबांट में सरकारी अधिकारी और राजनेताओं की पत्नियों को 2007 से 2017 के बीच एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड यानी सृजन के अकांउट से फायदा मिला. अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 9 अगस्त को इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपे जाने के बाद सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक सृजन के अकाउंट से 14 करोड़ रूपये की कीमत की ज्वैलरी खरीदकर अधिकारियों की पत्नियों और बच्चों को गिफ्ट की गई. इस बात के सबूत हैं कि सृजन के अकाउंट से पटना, दिल्ली और लखनऊ के ज्वैलर्स को हीरे के आभूषण के लिए आरटीजीएस के जरिए पैसे भेजे गए.
जांच में पता चला है कि पटना के फ्रासेर रोड़ पर स्थित जालान जेम्स को सृजन के तीन अलग-अलग बैंक अकाउंट से 7 करोड़ रूपये दिए गए. जांच रिपोर्ट के मुताबिक 3 मार्च 2015 को 49 लाख रूपये, 6 मार्च को 25 लाख रूपये और 9 मार्च 2015 को 40 लाख की पेमेंट की गई. ज्वैलरी स्टोर के मालिक के मुताबिक ये ज्वैलरी सामाजिक कार्यकर्ता रेखा मोदी को दी गई जिनका संबंध बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी से है. हालांकि सुशील मोदी का कहना है कि ‘ मेरा रेखा मोदी से कोई लेना देना नहीं है. रेखा मोदी का नाम मेरे नाम के साथ जोड़ने का कोई मतलब नहीं है.’
जांच में पाया गया है कि दो साल में चांदनी चौक के राजेश क्राफ्ट ज्वैलर्स को आरटीजीएस के जरिए 5 करोड़ रूपये दिए गए. जांच के मुताबिक ये सिर्फ पूरे घोटाले का एक छोटा सा हिस्सा है. इसके अलावा लखनऊ के एक और ज्वैलर अग्रवाल ज्वैलर्स का पता चला है जिसे दो साल के अंदर सृजन की तरफ से दो करोड़ रूपये दिए गए. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक ये साफ हो चुका है कि पेमेंट भागलपुर की इंडियन बैंक की ब्रांच से की गई. जांच के दौरान ऐसा लगता है कि सृजन द्वारा पैसे दिए जाने के बाद लोगों को सिर्फ दुकान से अपनी ज्वैलरी उठानी होती थी. सीबीआई सूत्रों के मुताबिक आरोपियों की पहचान अब उन तारीखों की सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की जाएगी जो उस दिन वो ज्वैलरी लेने दुकान पर आया. इसके अलावा ज्वैलरी शॉप के मालिकों से भी पूछताछ की जाएगी. ये घोटाला करीब 1300 करोड़ का माना जा रहा है जिसकी जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है.