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2 अरब डॉलर की मालकिन सुधा मूर्ति को लंदन में बोला- कैट्ल क्लास वालों से कौन बहस करे

बैंगलुरू: किसी महान व्यक्ति ने कहा है ‘सादा जीवन उच्च विचार’ लेकिन कई लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते. जनाब देश की तो बात छोड़िए दुनिया का सबसे सभ्य शहर कहा जाने वाला लंदन में भी कई ऐसे लोग हैं जो इस बात को नहीं मानते.
ये हम नहीं कह रहे बल्कि 2 अरब डॉलर की मालकिन व इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने अपनी किताब में इस बात को साझा किया है. इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने अपनी नई किताब ‘थ्री थाउजेंड स्ट‍िचेज’ में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
बता दें कि हम इसलिए सुधा को 2 अरब डॉलर की मालकिन इसलिए कह रहे हैं क्योंकि फॉर्ब्स के मुताबिक उनके पति नारायणमूर्ति का नेटवर्थ करीब 2 अरब डॉलर है.
सुधा मूर्ति ने अपनी किताब में यह खुलासा किया है कि लंदन के इंटरनेशनल हीथ्रो एयरपोर्ट पर उनके साथ बदसलूकी की गई थी और उन्हें ‘कैटल क्लास’ कहा गया था. सुधा मूर्ति ने अपनी किताब में बताया है कि एयरपोर्ट पर उनसे एक महिला ने कहा कि जाकर इकोनॉमी क्लास की लाइन में खड़ी हो जाओ, ये लाइन बिजनेस क्लास के पैसेंजर के लिए है.
इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा ने तब सलवार कमीज पहन रखा था और उनके पहनावे के कारण ही उनके सामने यह सवाल आया था. उनकी सादगी और पहनावे के कारण उन्हें ‘cattle-class person’ कहकर भी बुलाया गया.
मशहूर उद्योगपति नरायण मूर्ति की 66 साल की पत्नी सुधा मूर्ति ने किताब में लिखा है कि ‘class’ का अर्थ खूब सारे पैसे कमाना नहीं है. मदर टेरेसा एक क्लासी महिला थीं. उसी तरह भारतीय मूल की गणितज्ञ मंजुला भार्गव भी. यह सोच लेना कि पैसे के साथ अपने आप ‘class’ मिल जाता है, यह पुरानी और घिसी-पिटी विचारधारा है.
एक इंटरव्यू में सुधा मूर्ति ने कहा कि मैं पलभर में अपना बोर्डिंग पास दिखाकर उस महिला के सभी संदेह दूर कर सकती थी, लेकिन मैंने इंतजार किया कि मैं कैसे उसे बता सकूं कि वास्तव में वो बिजनेस क्लास के स्टैंडर्ड में फिट नहीं बैठती.
सुधा ने कहा कि मैंने थोड़ी देर में ही यह महसूस किया कि उस महिला ने मेरी ड्रेस के कारण ऐसा सोचा था. सुधा मूर्ति दरअसल, इंफोसिस फाउंडेशन की एक बैठक की अध्यक्षता करने जा रही थीं, जिसमें सरकारी स्कूलों के लिए स्पॉन्सर फंड पर बात होनी थी. हैरानी की बात यह है कि वह महिला भी उसी बैठक के लिए आई थी.
सुधा मूर्ति ने अपनी किताब में लिखा कि हमारे कपड़े हमें स्टीरियोटाइप की याद दिलाते हैं, जो आज भी अत्यधिक प्रचलित है. जैसे कि आपसे शादी में उम्मीद की जाती है कि आप सिल्क की साड़ी पहनें, एक सोशल वर्कर अपने आप को प्लेन और सादे कपड़ों में रीप्रजेंट करता है.
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