कार्तिक बना कलयुग का श्रवण कुमार, न्याय के लिए मां-बाप को लेकर तय की 40 किमी की यात्रा

माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने के लिए श्रवण कुमार ने जो किया था वो हर कोई जानता है. बूढ़े और अंधे मां-बाप की तीर्थ यात्रा करने की इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें अपने कंधे पर उठाकर यात्रा की थी. ऐसा ही कुछ काम किया है ओडिशा के कार्तिक सिंह ने.

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कार्तिक बना कलयुग का श्रवण कुमार, न्याय के लिए मां-बाप को लेकर तय की 40 किमी की यात्रा

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  • September 1, 2017 3:29 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago
भुवनेश्वर : माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने के लिए श्रवण कुमार ने जो किया था वो हर कोई जानता है. बूढ़े और अंधे मां-बाप की तीर्थ यात्रा करने की इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें अपने कंधे पर उठाकर यात्रा की थी. ऐसा ही कुछ काम किया है ओडिशा के कार्तिक सिंह ने.
 
लेकिन आपको बता दें कि ओडिशा के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कार्तिक के माता-पिता को कोई तीर्थ यात्रा नहीं करनी थी, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ी मजबूरी थी. कार्तिक अपने ऊपर लगे एक झूठे केस में इंसाफ पाने के लिए कोर्ट जा रहा था और वह अपने माता-पिता को अकेले नहीं छोड़ना चाहता था, इसलिए उसने उन्हें कंधे पर उठाकर 40 किलोमीटर की यात्रा तय की.
 
रिपोर्ट्स के मुताबिक ओडिशा के मयुरभंज के कार्तिक पर साल 2009 में एक फेक एफआईआर दर्ज की गई थी और उन्हें 18 दिनों तक जेल में बंद करके रखा गया था. जिस वक्त कार्तिक जेल में बंद था उस वक्त उसके बूढ़े माता-पिता अकेले थे. 
 
ऐसे में कार्तिक इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. इस मामले में कार्तिक का कहना है, ‘मेरे माता पिता 18 दिनों तक अकेले रहने पर मजबूर थे, लेकिन अब मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकता. इसलिए उन्हें मैं अपने साथ लेकर आया हूं.’
 

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