नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सुश्रुत ट्रामा सेंटर में 5 मरीजों की मौत के मामले में पांच साल बाद जांच रिपोर्ट सामने आ है जिसमें साफ है कि ऑक्सीजन ना मिलने की वजह से मरीजों की मौत हुई. दिल्ली मेडिकल काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से नहीं बल्कि ट्रामा सेंटर प्रशासन की लापरवाही की वजह से पांच मरीजों की मौत हुई.
मेडिकल काउंसिल ने दिल्ली सरकार को ये हिदायत भी दी है कि ऐसा हादसा ना हो इसके लिए सरकार जवादेही तय करे. गौरतलब है कि 4 दिसंबर 2012 को ऑक्सीजन की सप्लाई रूकने की वजह से 5 मरीजों की मौत हो गई थी. पांच साल तक ये तय नहीं हो पाया कि पांच लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
हालांकि इस घटना के बाद दो डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया था लेकिन मेडिकल काउंसिल की रिपोर्ट में डॉक्टरों को क्लीन चिट दी गई है. अब सवाल ये उठता है कि जब अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से मौत हुई तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी? क्या पीड़ित परिवारों को पांच साल बाद न्याय मिलेगा? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब मिलने बाकी हैं.
गौरतलब है कि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के मामले के बाद इस मामले ने भी तूल पकड़ा और लोग इस मामले को भी बीआरडी अस्पताल मामले से जोड़कर देखने लगे. गौरतलब है कि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में जनवरी से लेकर अबतक 1250 बच्चों की मौत हो चुकी है. सिर्फ अगस्त में 290 बच्चों की जान गई है.