जयपुर : राजस्थान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रकाश टाटिया ने लिव-इन रिलेशनशिप को ‘सामाजिक आतंकवाद’ बताया है. टाटिया ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में छोड़ी हुई महिला ‘तलाकशुदा महिलाओं से भी बुरी’ है. राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज ने कहा कि ‘यह कैसी आजादी है जिसमें समाज को बिना बताए किसी के साथ रहा जाता है इससे समाज कलंकित होता है.’
टाटिया ने कहा कि ‘लिव-इन रिलेशन’ पर पाबंदी लगनी चाहिए. इसके लिए कानून की जरूरत है जैसे शादी के लिए रजिस्ट्रेशन को जरूरी किया गया है. दो लोग साथ रहकर समाज की प्रतिष्ठा को दांव पर नहीं लगा सकते, शादी की तरह ही लिव-इन के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होना चाहिए.’
जस्टिस प्रकाश टाटिया ने लिव-इन रिलेशनशिप में मुसीबत के समय एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदार न होने का सवाल भी उठाया. उन्होंने कहा कि एक 50 वर्षीय महिला के कैंसर से ग्रस्त होने की जानकारी मिलने पर उसके लिव-इन पार्टनर ने उसे बेसहारा छोड़ दिया था. जबकि वह महिला बीते 10 साल से उसके साथ रह रही थी.’ उन्होंने कहा, ‘इस मामले में बहुत दर्दनाक कहानियां सामने आती हैं.
बता दें कि लिव-इन-रिलेशनशिप अक्सर विवादों में रहता है. यह एक अनूठा रिश्ता है जिसमे शादी की पुरानी मान्यता को दरकिनार करते हुए जोड़े साथ रहते है और ठीक उसी तरह से अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे के लिए निभाते है जैसा शादी के बाद एक जोड़ा निभाता है.