पटना. बिहार के बड़े सरकारी अस्पताल इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान यानी IGIMS में नौकरी करने वालों को बाकी चीजों के अलावा फॉर्म पर ये लिखकर बताना पड़ता है कि वो वर्जिन हैं या नहीं. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में ऐसा 35 साल से चलता आ रहा है.
इस अस्पताल में नौकरी करने वालों को ज्वाइनिंग के वक्त जो बहुत सारे फॉर्म भरने पड़ते हैं उनमें एक फॉर्म वैवाहिक घोषणापत्र का है. इस फॉर्म में कर्मचारी को कार्यभार संभालने से पहले वैवाहिक स्थिति की जानकारी देनी होती है.
वैवाहिक घोषणापत्र में पूछा जाता है कि आप बैचलर हैं, विधवा या विधुर हैं या वर्जिन हैं. स्टाफ को ये भी बताना पड़ता है कि वो शादीशुदा है और उसकी एकमात्र पत्नी जिंदा है. एक विकल्प ये भी है कि आप ये बताएं कि आपकी शादी हो चुकी है और आपकी एक से ज्यादा बीवियां हैं.
महिला स्टाफ को वैवाहिक घोषणापत्र में ये बताना पड़ता है कि उनकी शादी ऐसे पुरुष से हुई है जिसकी कोई और जीवित पत्नी नहीं है या फिर ऐसा पुरुष उनका पति है जिसकी दूसरी पत्नी जिंदा है. ये सारा घोषणा पत्र इस नियम से छूट के लिए भरना होता है कि स्टाफ की एक से ज्यादा पत्नी है.
अस्पताल में पिछले 35 सालों से भर्ती होने वाले हर स्टाफ को ये वैवाहिक घोषणापत्र भरकर बताना पड़ रहा है कि वो वर्जिन है या नहीं और ये सिलसिला आज भी जारी है. इंडिया न्यूज़ ने अस्पताल के कई अधिकारियों से बात की और उनमें से हर किसी ने ये फॉर्म भरकर ही नौकरी पाई थी.
अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की भर्ती का ये नियम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी AIIMS में भी है और इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान बस उसको फॉलो कर रहा है. ये अधिकारी हालांकि ये मानते हैं कि वर्जिन की जगह अनमैरिड शब्द होता तो बेहतर होता.
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान बिहार के बड़े अस्पतालों में एक है जहां राज्य के कोने-कोने से मरीज इलाज के लिए आते हैं. संस्थान के मेडिकल कॉलेज में हर साल एमबीबीएस के 100, पीजी के 17 और नर्सिंग के 40 स्टुडेंट्स दाखिला लेते हैं जो इसके अस्पताल में ट्रेन होते हैं.