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लालू यादव ने नीतीश कुमार को कहा ‘पलटूराम’, जानिए उनके भाषण की 15 बड़ी बातें

पटना: सोमवार को नीतीश कुमार ने लालू यादव और महागठबंधन के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो मगंलवार को लालू प्रसाद यादव पूरे लाव-लश्कर के साथ नीतीश कुमार पर जमकर बरसे. लालू यादव ने नीतीश कुमार को पलटूराम कहकर संबोधित किया.
इस दौरान लालू यादव ने जेपी आंदोलन से लेकर बाबरी मस्जिद कांड तक का जिक्र करते हुए कहा कि वो नीतीश कुमार की फितरत पहले से जानते थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुलायम सिंह यादव के कहने पर उनके साथ हाथ मिलाया. सिलसिलेवार तरीके से जानिए लालू यादव ने नीतीश कुमार के बारे में क्या कहा.
  • नीतीश कुमार राजनीति के पलटूराम हैं. उन्हें मैं शुरु से जानता हूं, उनपर मुझे कभी भरोसा नहीं था.
  • नीतीश कल बोल रहे थे कि मैने लालू यादव को बनाया है जबकि मैं नीतीश से सीनियर नेता हूं. मैने नीतीश कुमार को आगे बढ़ाया.
  • नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनावों में जमकर बोलते थे, आज उन्हीं की गोद में जाकर बैठ गए.
  • नीतीश मेरे बेटे की राजनीतिक बलि देना चाहते थे, तेजस्वी के अच्छे कामों से डर गए थे नीतीश
  • नीतीश मुझे जाति का नेता बताते हैं तो क्यों वो खुद कुर्मी सम्मेलन में गए थे. मैं कभी यादव सम्मेलन में नहीं गया.
  • नीतीश को शरद यादव ने बनाया टिकट दिया, शरद यादव ने उन्हें जिताने में जान लगा दी.
  • एक समय था जब नीतीश कुमार मुझसे चंदन लगवाकर जाते थे. जेपी आंदोलन के समय नतीश का कोई अता-पता नहीं था. उस वक्त मैंने नीतीश कुमार को आगे लाया. मैंने नीतीश कुमार को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया.
  • आप लोगों को मालूम होना चाहिए कि 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वस्त हुआ मतलब भारत का संविधान ध्वस्त हुआ. भारत की भाईचारे को भाजपा और आरएसएस ने ध्वस्त किया.
  • 1994 में मुंबई में बीजेपी का सम्मेलन हुआ. उस समय समता पार्टी भी बन चुकी थी. लेकिन नीतीश कुमार का हाथ पकड़कर आडवानी जी सम्मेलन में ले गए थे.
  • पलटी बाज, पलटूराम नीतीश कुमार की राजनीति और उनका राजनीतिक चरित्र जग जाहिर है. नीतीश ने कल कहा कि लालू यादव मुझे जहर बोले थे, ऐसा झूठ क्यों बोल रहे हैं नीतीश कुमार.
  • मैं दिल्ली में ही नीतीश को नेता मानने के खिलाफ था लेकिन मुलायम सिंह यादव ने कहा मान लो. उन्होंने ही इसकी घोषणा की.

पढ़ें- लालू यादव का पलटवार, कहा- चुनाव हारने के बाद हाथ जोड़कर मेरे पास आए थे नीतीश कुमार

  • नीतीश कुमार मेरे बच्चों की राजनीतिक बलि देना चाहते थे. तेजस्वी की लोकप्रियता से नीतीश कुमार डर गए थे.
  • नीतीश कुमार आज अपनी हैसियत भूल गए हैं. 1989 में चुनाव हारने के बाद हाथ जोड़ कर नीतीश कुमार मेरे पास आए थे. नीतीश कुमार 2-2 बार 1977 और 1980 में विधायकी का चुनाव हारे.
  • नीतीश कुमार आदर्शवाद झूठा है. वो कहते हैं कि उनका वोट मुझे मिला. लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो सीट पाए थे.
  • राज्यसभा चुनाव में हम सपोर्ट नहीं करते तो उनकी हवा निकल जाती. बिहार की जनता 2019 में नीतीश कुमार को जवाब देगी.
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