पटना: बिहार में जो कुछ भी हुआ है उसके अलावा हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं था. हमने महागठबंधन को चलाने का हर संभव प्रयास किया. आरजेडी की तरफ से कई बयान आये जो गठबंधन के लिए उचित नहीं था. मैंने साफ कह दिया था कि कानून अपना काम करेगा. मेरे ऊपर जो कहा गया (इशारा शहाबुद्दीन) उस पर लालू प्रसाद यादव ने भी कोई जवाब नहीं दिया.
यह मानकर चलता था कि गठबंधन में ऐसे विवाद होते हैं. लेकिन मेरी तरफ से आरजेडी प्रमुख के बारे में कोई बात नहीं की गई. मानकर चल रहे थे कि गठबंधन में यह सब होता है. इन सबके बावजूद हम काम पर लगे रहे. जिलों में घुमा, निश्चय यात्रा के दौरान भी फीडबैक लेते रहे.
शराबबंदी को लेकर भी कई काम किया. मीडिया का भी सहयोग रहा. मीडिया न रहे तो बहुत सारी बाते जो नीचे होती रहती हैं उसकी जानकारी नहीं मिल पाती. हस्तछेप प्रशासनिक कार्यों में होता रहा. लेकिन फिर भी काम करते रहे. मन में यह बात आती थी कि महागठबंधन जब नाम दिया है तो परेशानी होगी.
लेकिन जब मामला भ्रष्टाचार का आया तो संज्ञान लेना पड़ा कठिन परिस्थिति आई. जब पहली बार देश भर में छापेमारी हुई तो ट्वीट किया गया और कहा गया कि बीजेपी को नए सहयोगी के लिए बधाई लेकिन सिर्फ 20 मिनट के बाद जो व्याख्या की गई उसका मतलब सभी जानते हैं. लेकिन इस बार छापेमारी हुई तो मैं राजगीर में था वहां से मेरा भावनात्मक लगाव है. लेकिन मैंने किसी से बात नहीं की.
पटना लौटने के बाद मैंने लालू जी से भी बात की हर बार यही कहा गया सब कुछ स्पष्ट होना चाहिए. लालू जी को भी कहा, सीधे सवाल होता था मेरे बारे में जीरो टॉलरेंस को लेकर मैं क्या करूँगा. 11 जुलाई की बैठक पहले से निर्धारित थी. पार्टी के अंदर 29 लोगों ने अपनी बात कही सभी ने यही कहा हमे अपनी नीतियों से अलग नहीं होना चाहिए. हमने जनता के सामने स्पष्ट करने को कहा. लेकिन उसका भी मजाक उड़ाया जाने लगा.
जब हमसे तेजश्वी यादव अकेले कैबिनेट मीटिंग के बाद मिले तो भी यही कहा आप जनता के सामने तथ्यों को पेश कीजिये. लेकिन तैयार नहीं थे. शायद उनके पास कहने को कुछ नहीं था. पहले से विधायक दल की बैठक निश्चित नहीं थी. लेकिन जब 26 को आरजेडी की बैठक हुई और उसमें यह कहा गया कि जवाब नहीं देंगे तो फिर 26 की शाम में हमारी पार्टी की 3 बैठक में चर्चा की गई. लोगों ने मुझसे कहा कि जो आप तय करेंगे वही होगा. मेरे विधायक दल ने 26 जुलाई को शाम 6 बजे यह निर्णय लिया कि मैं इस्तीफा दूंगा. इस्तीफा पत्र तैयार करने के बाद लालू प्रसाद और सीपी जोशी को फोन कर बता दिया कि अब हमसे यह गठबंधन संभव नही है.
उसके बाद जाकर इस्तीफा दिया. जब लौटे तो बीजेपी के शीर्ष स्तर से खबर आई कि हम साथ देने को तैयार हैं. हमने विधायकों से बात की क्योंकि सभी विधायक यहीं थे. इसके बाद मैंने हामी भरी. जिसके बाद बीजेपी विधायक दल की भी बैठक हुई और फिर वो लोग मेरे पास आये विधायक दल का नेता चुना गया. हम राज्यपाल के पास गए और दावा पेश किया. अगले दिन सरकार बनाया.
हमारे पार्टी के नेता ऊब चुके थे. कल अल्पसंख्यक समाज के साथ बैठक की. हजार से ज्यादा लोग थे सभी ने कहा कि जो निर्णय लिया वह सही था. जब एनडीए की सरकार थी तो अल्पसंख्यकों के लिए जितना काम किया गया उतना काम कहीं नहीं किया गया. भागलपुर दंगों की फिर से जांच करवाई. सीआईडी को लगाया. 29 ऐसे केस सामने आए जिसमें प्रमाण होते हुए भी बिना आरोप के चार्जशीट कर दिया गया था.
मैंने फिर से जांच करवाई उन्हें मुआवजा दिलवाया. पहले ढाई हजार मुआवजा प्रतिमाह दिलवाया बाद में 2013 से पांच हजार प्रतिमाह करवाया. कब्रिस्तान की घेराबंदी सुनिश्चित की. मुस्लिम महिलाओं के लिए हुनर कार्यक्रम शुरू किया. साम्प्रदायिक सदभाव बनाये रखने की जिम्मेदारी डीएम और एमपी को दिया. अल्पसंखयकों के लिए कई काम किया.
हम जुबान से कम बोलते हैं क्योंकि मेरा काम बोलता है. जो लोग सेक्युलरिजम की बात करते हैं वो देखे की सेक्युलरिजम क्या होता है. मैं आलोचना से नहीं घबराता. मैं समाज के हर तबके लिए काम करता हूं. सेक्युलरिजम का चादर ओढ़ कर कोई भ्रष्टाचार करे यही सेक्युलरिजम है क्या?
नोटबन्दी का समर्थन किया. लोग खुश थे तब हमने बेनामी सम्पति पर भी सर्जिकल स्ट्राइक की बात की लेकिन जब कार्रवाई हुई तो मैं क्या करता. लोग अहंकार की भाषा बोलते थे कि हमने बना दिया. जिस दिन दिल्ली में घोषणा किया तो मैं तो पटना में था. उन्हें डर था कि जेडीयू और कांग्रेस अकेले चुनाव में उतर जायेगी. कहने लगे कि जहर का घूंट पीने की बात कही, क्या मैं जहर था?
जब पटना विवि में लालू जी चुनाव लड़ रहे थे तो मैं साईन्स कॉलेज में था, 500 वोट थे जिनमें से 440 वोट मैंने लालू जी को दिलवाया. आज 1991 में मर्डर की बात कर रहे हैं. कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद मैंने सभी विधायकों को गोलबंद किया. शिवानंद तिवारी का नाम लिए बिना कहे कि सबसे ज्यादा तकलीफ उन्हीं को है. जब सरकार बन गई तो कार्यकर्ता नारा लगा देते थे कि लालू नीतीश जिंदाबाद तो भी लालू जी को बुरा लग जाता था. खुद गरज में एलान किया था.
हमारे समर्थकों ने खुल कर साथ दिया ,लेकिन उनके वोट नही मिले शायद उनका प्रभाव नहीं था. अहंकार बुरी चीज है. 2010 का परिणाम सबके सामने है, तब पासवान जी उनके साथ थे लेकिन अब तो वो भी साथ नहीं हैं. मैं आलोचना झेलने के लिए तैयार हूं खासकर कुछ बुद्धिजीवियों के जो मुझे बेसलेस कहते हैं. अच्छा है उन्हें आजादी है अगर कास्ट बेस को कुछ लोग मास बेस समझते हैं तो वो गलत है. मैंने जो भी निर्णय लिया है वह अपनी पार्टी के फैसले के आधार पर लिया है.महठबंधन की सरकार 20 महीने तक चली लेकिन विकास के कामों में हमने कोई कोताही नहीं की. लेकिन गवर्नेंस के कामों में हस्तछेप होता रहा.
नीचे के कामों में उसका असर जरूर पड़ा. मिट्टी में मिल जाएंगी बीजेपी के साथ नही जाएंगे वाला बयान उस वक़्त के संदर्भ में था. यह बिहार के हित की बात थी. 19 को नेशनल एक्जीक्यूटिव की मीटिंग है. उसमें कई मुद्दों पर चर्चा होगी सवाल था. क्या राम मंदिर बनेगा. हमने वचन दिया है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में गोपालकृष्ण गांधी को समर्थन करेंगे. 2019 में मोदी जी से मुकाबला करने की छमता किसी मे नहीं है. दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
बालू माफिया के सवाल पर सीएम नीतीश ने कहा कि अब कार्रवाई का वक़्त है किसी को बख्शा नहीं जाएगा. अब आर्थिक अपराध इकाई के अधिकार को बढ़ाया जाएगा. फ्रेश चुनाव कोई विकल्प नहीं था. न हम किसी को फसाते हैं और न बचाते हैं. शरद यादव की नाराजगी पर कहा कि लोकतंत्र में विचार होते हैं. मेरी पार्टी राज्य की पार्टी है और राज्य कमेटी ने यह निर्णय लिया है. और मैं राष्ट्रीय अध्यछ होते हुए उपस्थित था. अब 19 को मीटिंग है उसमें सभी लोग अपनी बात रख सकते हैं. निर्णय बहुमत का होता है. व्यक्तिगत विचार सभी रख सकते हैं.
राहुल गांधी के बयान पर सीएम ने कहा कि खुशी की बात है कि उन्हें 3 महीने पहले अहसास हुआ था, लेकिन जब मैं मिलने गया था तब तो पता नहीं चला. जब राजगीर में था तो राहुल गांधी का फोन आया था. बात किया तो दिल्ली में मिलने की बात तय हुई. दिल्ली में 40 मिनट तक बात किया. पूरी बात उनके सामने रखा लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं आया.
असम में मेहनत किया यूपी में मेहनत किया लेकिन क्या फायदा मिला. आपके साथ मिलकर काम करने की कोशिश की लेकिन क्या मिला? मैंने पहले भी कहा था सहयोगी हो सकता हूं लेकिन फॉलोवर नहीं. सवाल 2013 और अब में क्या अंतर आया है बीजेपी में दूसरे तरफ (यानी महागठबंधन) ज्यादा असहज थे. नेशनल एकजीयूटिव की बैठक में आगे का तय करेंगे. सवाल क्या एनडीए की सरकार में शामिल होंगे पर सीएम ने कहा अभी तक कपोल कल्पना है.