भोपाल: पुलिस और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद इस मामले ने उस वक्त तूल पकड़ना शुरू किया जब एनकाउंटर में मारे गए एक आतंकी की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने एनकाउंटर के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया, यहां तक कि आदेशों का उल्लंघन करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिसकर्मियों को दो-दो लाख रुपs के ईनाम की भी घोषणा की है. बता दें कि इस वक्त मामले की तीन जांच चल रही है.
इस मामले की जांच IPS अफसर अनुराग शर्मा की अगवाई में मध्य प्रदेश पुलिस की SIT कर रही है तो SDM भी मजिस्ट्रेटी जांच कर रहे हैं. वहीं सरकार हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एसके पांडे से भी जांच करा रही है लेकिन ये तीनों जांच राज्य सरकार के अंतर्गत चल रही हैं जिससे जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में SIT या सीबीआई से जांच कराए, इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट याचिका को खारिज कर चुका है.
उल्लेखनीय है कि भोपाल की जेल से 30-31 अक्टूबर 2016 की रात गार्ड की हत्या कर फरार हुए सभी अंडरट्रायल कैदियों को पुलिस ने शहर के बाहरी इलाके में एक एनकाउंटर में मार गिराया था. यह एनकाउंटर भोपाल से 12 किलोमीटर दूर ईंटखेड़ा गांव में हुआ था. कहा गया कि फरार होने से पहले इन कथित सिमी के आतंकियों ने ड्यूटी पर तैनात गार्ड रमाशंकर यादव की हत्या की. बता दें कि हत्या के लिए कैदियों ने कोई धारदार वस्तु का इस्तेमाल किया और फिर चादर के सहारे जेल की दीवार फांद कर फरार हो गए थे.
इस एनकाउंटर से जुड़े कई वीडियो सोशल साइट्स पर आए और उसके बाद एनकाउंटर पर सवाल उठाए जाने लगे. पुलिस जहां अपने दावों को सही ठहरा रही थी वहीं, मारे गए लोगों के परिजनों के साथ तमाम अन्य लोग पूरे वारदात पर संदेह व्यक्त कर रहे थे. तभी से इस पूरे मामले में जांच की मांग की जा रही थी.
इससे पहले भोपाल सेंट्रल जेल से कथित तौर पर फरार आठ कैदियों के एनकाउंटर के मामले में अब मध्य प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए थे, सरकार ने कहा था कि इस मामले में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एसके पांडे जांच करेंगे. सरकार ने यह भी साफ कर दिया था कि यह जांच केवल कैदियों के जेल से फरार होने तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि जांच का दायरा एनकाउंटर तक रहेगा.