नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में नीचले स्तर पर ही नहीं बल्कि टॉप लेवल पर भी नियमों का खूब उल्लंघन होता है. ऐसा ही एक मामला शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षा निदेशक पद पर रहे एक एडहॉक दानिक्स अफसर (दिल्ली, अंडमान और नीकोबार आईलैंड सिविल सर्विस) की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर आया है. ट्रांसफर-पोस्टिंग के दौरान मेडिकल लीव पर चल रहे अफसर के खिलाफ सीएस कार्यालय ने चार्ज शीट तैयार करवा दी है.
दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग में कार्यरत रहे एडहॉक दानिक्स अफसर और दास/स्टैनो कैडर के अधिकारियों व कर्मचारियों की मान्यता प्राप्त यूनियन गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी एम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष दयानंद सिंह ने सीएस कार्यालय की इस गलत कार्रवाई के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. एडहॉक दानिक्स अफसर सिंह ने दिल्ली के उप-राज्यपाल अनिल बैजल से लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ अधिकारियों के पास ट्रांसफर-पोस्टिंग पॉलिसी व स्वीकृत मेडिकल लीव मामले में बिजनेस रूल्स का घोर उल्लंघन करने की लिखित शिकायत की है.
अधिकारियों पर लगाया ये आरोप
साथ ही आरोप लगाया है कि शिक्षा निदेशक सौम्या गुप्ता से लेकर सर्विसेज विभाग ने ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में घोर अनियमितताएं बरती हैं. वहीं अस्थमा की बीमारी से ग्रसित अधिकारी 25 अक्टूबर 2016 से 10 जनवरी, 2017 तक 78 दिन की स्वीकृत मेडिकल लीव पर थे. बावजूद इसके उनको जबरन ड्यूटी ज्वाइन करने के आदेश दिये गये. इतना नहीं शिक्षा विभाग से गुरूद्वारा इलेक्शन में चुनाव अधिकारी के रूप में ड्यूटी लगा दी गई और 29 अक्टूबर, 29 नवंबर और 5 दिसंबर, 2016 की मीटिंग अटेंड नहीं करने की शिक्षा विभाग ने चीफ सेक्रेटरी को रिपोर्ट भेज दी. जबकि इस मामले में सर्विसेज विभाग ने उनके विकल्प के रूप में किसी अन्य अधिकारी की ड्यूटी भी चुनाव में लगा दी थी.
मेडिकल दस्तावेज देने के बाद भी चार्ज शीट
दिलचस्प बात यह है कि अधिकारी 25 अक्टूबर से लेकर 3 नवंबर, 2016 तक जीटीबी अस्पताल में अस्थमा की बीमारी के इलाज के चलते भर्ती रहे. जिसके दस्तावेज चीफ सेक्रेटरी आफिस को उपलब्ध करा दिये गये. सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग ने सीएस कार्यालय को गलत रिपोर्ट दी. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार कैडर की IAS अधिकारी आशिमा जैन के खिलाफ यूनियन ने कई मामले उठाये थे. इसके बाद से ही उनको ट्रांसफर-पोस्टिंग के जाल में फंसा कर प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा है. यह स्वास्थ्य, व्यवहारिकता, स्वाभिमान और रूल्स आदि के आधार पर कदापि उचित नहीं है.
इस पूरे मामले में टॉप लेवल अफसरों की उदासीनता और मनमाने रवैये के चलते पीड़ित अधिकारी ने एलजी, मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम समेत सभी से गुहार लगा चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनकी सुनवाई नहीं होती है तो वह मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.