पटना : बिहार में महागठबंधन पर सियासी संकट बढ़ता ही जा रहा है तो वहीं जेडीयू प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिलहाल चुप्पी साधी हुई है. महागठबंधन को लेकर पिछले करीब 11 दिनों से सियासी संकट बढ़ गया है.
सीएम नीतीश कुमार ने जेडीयू-आरजेडी महागठबंधन पर अभी तक कुछ भी नहीं बोला है. इस पर जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि जब भी नीतीश कुमार का अगर मौन टूटा तो एक्शन होगा.
उन्होंने कहा कि आरजेडी के 80 विधायक भी नीतीश कुमार के चेहरे पर ही जीते हैं और अगर उनमें इतना ही दम था तो 2010 में आरजेडी को जीत क्यों नहीं मिली.
दरअसल बिहार रेलवे टेंडर घोटाले के मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का नाम आने के बाद से ही जेडीयू उनसे इस्तीफा चाहती है. जिस वजह से तेजस्वी यादव के नाम पर बिहार में महागठबंधन की दरार गहरी होती जा रही है. हालांकि नीतीश कुमार ने इस मामले में सामने से अभी तक कुछ नहीं कहा है.
जेडीयू ने तेजस्वी को चार दिनों का और वक्त दिया है जिसके बाद पार्टी फिर से उनके पद पर बने रहने के फैसले पर विचार करेगी. उन चार दिनों की मियाद आज खत्म हो जाएगी. जिसके बाद जेडीयू तेजस्वी के मामले पर एक बार फिर विचार करेगी.
घोटालों पर तेजस्वी की सफाई
टेंडर घोटाले में घिरे तेजस्वी यादव और आरजेडी ने साफ कर दिया है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि मुझ पर कोई भी उंगली नहीं उठा सकता. तेजस्वी ने सीएम नीतीश कुमार को संदेश दे दिया है कि वो इस्तीफा देने वाले नहीं हैं. दरअसल, कल नीतीश ने अल्टीमेटम दिया था कि 4 दिनों में तेजस्वी पर लालू फैसला लें.
कैबिनेट बैठक के बाद तेजस्वी ने कहा कि हमारी छवि साफ रही है. भ्रष्टाचार पर हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति है. हमें पिछड़े परिवार के होने की वजह से सजा दी जा रही है. तेजस्वी ने कहा कि ये मामला 2004 का है. तब मेरी उम्र 13-14 साल की थी. मेरी मूंछें भी नहीं आई थी. हम तो तब बच्चा था, कोई पद नहीं था तो घोटाला कैसे करते ?