मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से भायखला जेल में मंजुला शेट्ये मौत मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अदालत ने कहा कि राज्य सरकार तीन सवाल करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट ने अपने पहले सवाल में कहा कि की इस मामले में जब शिकायत कर्ता ने कहा है कि सुक्सुअल एसॉल्ट हुआ है तो एफआईआर में धारा 376 या 377 क्यों नहीं जोड़ा गया. जबकि दूसरे सवाल में कोर्ट ने कहा कि मंजूला को अस्पताल ले जाने और मेडिकल सहायता में देरी क्यों हुई? कोर्ट ने तीसरे सवाल में पूछा है कि इस मामले में जेल के कैदियों को क्यों एफआईआर करने की जरूरत पड़ी?
दरअसल बॉम्बे हाइकोर्ट में प्रदीप भालेकर नाम के शख्स ने याचिका दाखिल कर मांग की थी कि इस मामले के एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376/377 भी जोड़ा जाए क्योंकि कैदियों ने मंजूला पर सेक्सुअल असाल्ट होने की बात कही थी.सोमवार को इसकी सुनवाई के दौरान भालेकर के वकील ने नागपाड़ा पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर और जेजे हॉस्पिटल से कॉज ऑफ डेथ रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दोनों में मौत का वक़्त अलग-अलग है जिससे ऐसा लगता है कि मामले में कुछ गड़बड़ है.
वही सरकारी वकील ने पूरी याचिका को रद्द करने की माँग करते हुए कहा कि जेल के कैदियो को सीआरपीसी की धारा 226 के तहत अधिकार दिए गए है कि अगर उन्हें कुछ गलत लगता है तो वो खुद केस फ़ाइल कर सकते हैं. सरकारी वकील ने कहा कि इसमें किसी भी प्राइवेट आदमी के पीआईएल को नहीं सुना जाना चाहिए.
इस दलील पर कोर्ट ने सरकारी वकील को लताड़ लगाते हुए कहा कि आपका ये बयान बिल्कुल गैर जिम्मेदाराना है, कैदी आखिर जेल अधिकारियों की शिकायत लेकर किसके पास जाएंगे. वही सरकारी वकील ने ये भी कहा कि मामले की जांच मुम्बई क्राइम ब्रांच कर रही है इसीलिए उन्हें हलफनामा करने को ना कहा जाए लेकिन कोर्ट ने उनकी इस मांग को भी खारिज कर दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद रखी है.