लखनऊ : हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ हर किसी की जिंदगी के लिए अहम स्थान रखता है. कहते हैं कि इस दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं, जिसे पाना मुश्किल हो. अगर इंसान मेहनत करे और उसके भीतर दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो वो कुछ भी हासिल कर सकता है. कुछ ऐसी ही मिसाल कायम की है जोइता मंडल ने.
जब बीते शनिवार को सफेद कार पर बैठ कर जिसमें नेम प्लेट पर ”ड्यूटी पर न्यायाधीश” लिखा था, इस्लामपुर कोर्ट परिसर में जोइता मंडल पहुंची तो ये समाज के लिए न सिर्फ एक संदेश था, बल्कि पूरी ट्रांसजेंडर्स समुदाय के लिए सेलिब्रेशन के साथ-साथ गर्व करने का मौका था. सच कहूं तो ये हमारे देश के लिए भी गर्व की बात है.
दरअसल, एक ट्रांसजेंडर होकर राष्ट्रीय लोक अदालत तक का सफर तय कर पाना जोइता मंडल के लिए इतना आसान नहीं था. जोइता की जिंदगी के ऐसे तमाम पहलू हैं, जिन्हें जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. आज भले ही वो राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए चयनित हो गई हैं, मगर एक समय था जब उन्होंने भीख भी मांगने पड़े थे.
जोइता ने सोशल वर्कर का काम भी किया है. ट्रांस वेल्फेयर इक्विटी के संस्थापक अभीना का कहना है कि यह पहला मौका है जब ट्रांसजेंडर समुदाय के किसी व्यक्ति ने यह अवसर हासिल किया है. बता दें कि बीते 8 जुलाई को लोक अदालत के लिए इस्लामपुर के सब-डिविजनल लीगल सर्विस कमिटी की तरफ से जोइता को बेंच के लिए नियुक्त किया गया था.
खास बात ये है कि जोइता की जहां नियुक्ति हुई है, उससे दस मिनट की दूरी पर स्थित बस स्टैंड पर उन्होंने कई बार रात गुजारा था. जब ट्रांसजेंडर होने की वजह से उन्हें होटल वाले कमरा देने से मना कर देते थे, तो जोइता इसी बस स्टैंड पर अपना रात गुजारा करती थीं. इसी घटना ने जोइता को अंदर से झकझोर दिया और उन्होंने कुछ करने का ठान लिया.
खुद जोइता का कहना है कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनका चयन ऐसे समाज में हुआ है, जहां ट्रांसजेंडर्स को गलत नजर से देखा जाता है. उनका चयन समाज में एक सख्त संदेश प्रसारित करेगा.