वाराणसी: कई सालों से ईद नहीं मनाने वाली बनारस की अनाथ शबाना के लिए इस बार की ईद जिंदगीभर के लिए यादगार बन गई. गरीबी के कारण कई सालों से ईद नहीं मनाने वाली शबाना ने इस बार रहा नहीं गया तो उसने डीएम को ही मार्मिक मैसेज भेज अपनी पूरी गाथा सुना दी.
शबाना ने संदेश लिखा, ‘डीएम साहब नमस्ते. मेरा नाम शबाना है. मुझे आपसे कुछ कहना है. मेरा सबसे बड़ा त्योहार ईद है. मेरे आसपास के लोग नए कपड़े पहनेंगे. लेकिन हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि नया कपड़ा खरीद सकें. मेरे अब्बू-अम्मी का साल 2004 में इंतकाल हो गया. मेरे घर में मेरे अलावा मेरी नानी और छोटा भाई है. प्लीज कुछ मदद करें जिससे मैं भी ईद मना सकूं….’
यह मार्मिक मैसेज वाराणसी के डीएम योगेश्वर राम मिश्रा को उनके मोबाइल पर रविवार दोपहर भेजा था. मैसेज पढ़ते ही डीएम ने एसडीएम सदर को बुलाकर शबाना के परिवार की मदद करने को कहा. डीएम ने अपने पास से शबाना, उसकी नानी और छोटे भाई को नए कपड़े, मिठाई और सेवई के लिए रुपए दिए. एसडीएम ने मोबाइल नंबर का लोकेशन पता कर एसओ मंडुवाडीह के साथ शबाना के घर पहुंच गए. वहां से शबाना को लेकर पूरी टीम बाजार पहुंची और पूरी खरीदारी करवाई गई.
दरअसल 2004 में आग में झुलसकर शबाना की अम्मी और अब्बू का इंतकाल हो गया. उसके बाद तो इस घर की दीवार पर मुफलिसी का ऐसा मकड़जाल बुन गया, जिसमे उलझकर इन बच्चों की सारी खुशियों ने मानो दम ही तोड़ दिया. इस परिवार मुफलिसी इतनी हावी हो गई कि 13 साल से ईद का चांद इनके घर नहीं निकला.