नगालैंड से ASFA हटाने के लिए 45 दिन में रिपोर्ट देगी नई कमेटी

नई दिल्ली. नागालैंड से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) को हटाने के लिए केंद्र सरकार की एक समिति का गठन किया जा रहा है। नागालैंड सरकार ने कहा है कि समिति 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी और इसकी सिफारिशों के आधार पर अशांत क्षेत्रों की सूची को बाहर करने और नागालैंड से अफस्पा […]

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नगालैंड से ASFA हटाने के लिए 45 दिन में रिपोर्ट देगी नई कमेटी

Aanchal Pandey

  • December 27, 2021 9:47 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

नई दिल्ली. नागालैंड से सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) को हटाने के लिए केंद्र सरकार की एक समिति का गठन किया जा रहा है। नागालैंड सरकार ने कहा है कि समिति 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी और इसकी सिफारिशों के आधार पर अशांत क्षेत्रों की सूची को बाहर करने और नागालैंड से अफस्पा हटाने का निर्णय लिया जाना है। नागालैंड के मौजूदा हालात को देखते हुए 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की थी।

नागालैंड सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ओटिंग घटना में सीधे तौर पर शामिल सेना इकाई और सेना के जवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने वाली है और जल्द ही कार्रवाई की जा रही है।

नागालैंड विधानसभा में अफस्पा के खिलाफ प्रस्ताव पारित

 मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में नागालैंड के सीएम नेफू रियो, उप मुख्यमंत्री वाई पैटन, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और एनपीएफएलपी नेता टीआर जेलियांग ने हिस्सा लिया. राज्य सरकार ने सभी समुदायों के लोगों से शांति की मांग की है. 4-5 दिसंबर को सेना के जवानों द्वारा की गई तीन गोलीबारी की घटनाओं में मारे गए 14 लोगों में से 13 लोग नागालैंड की प्रमुख जनजातियों में से एक कोन्याक जनजाति के थे।

घटना के बाद नगालैंड के सीएम समेत कई संगठनों ने राज्य से अफस्पा हटाने की मांग शुरू कर दी थी। जहां यह पता चला है कि समिति का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (उत्तर पूर्व) कर रहे हैं। इसके अलावा, सदस्यों में नागालैंड के मुख्य सचिव और बीजीपी, आईजीएआर (एन), और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। यह भी कहा जा रहा है कि राज्य सरकार इस घटना में मारे गए लोगों के परिवारवालों में से किसी एक  सदस्य को सरकारी नौकरी देगी।

अमित शाह ने लोकसभा में इस घटना के बारे में कहा है कि सेना को मोन जिले में आतंकवादियों की गतिविधियों के बारे में पता चला था, जिसके बाद ’21 पैरा कमांडो’ की एक इकाई ने जांच की। उन्होंने गोलीबारी में नागरिकों की मौत पर दुख जताया और कहा कि सुरक्षा बलों ने आत्मरक्षा में फायरिंग की थी।

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