गांधीनगर: गुजरात के गांधीनगर सिविल अस्पताल पहुंचे विधानसभा अध्यक्ष रमणलाल वोरा की गाड़ी को एंबुलेंस लेन से हटवाने वाले एक सुरक्षा कर्मी को अपनी नौकरी गवानी पड़ी. असल में गांधीनगर सिविल अस्पताल में एक 28 साल का गार्ड गुजरात विधानसभा के स्पीकर रमणलाल वोरा को पहचान नहीं पाया और उन्हें ‘काका’ से संबोधित करते हुए एंबुलेंस लेन में खड़ी गाड़ी को हटाने की बात कह दी. जिसके तुरंत बाद गार्ड को नौकरी से हटा दिया गया, अस्पताल में तैनात सिक्योरिटी एजेंसी को भी टर्मिनेशन नोटिस थमा दिया गया है.
इस मामले में सिक्योरिटी अफसर जेलसिंग की माने तो गार्ड किरन वघेला को लगा कि ऐंबुलेंस को यहां आने में दिक्कत होगी इसलिए वह 65 वर्षीय स्पीकर रमनलाल वोरा को ट्रॉमा सेंटर के सामने से गाड़ी हटाने के लिए कहकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं, जिसका उसे अच्छे काम के लिए ईनाम मिलना चाहिए लेकिन उसको सजा मिल रही है. गार्ड के इस कदम के बाद पूरी एजेंसी को भी अस्पताल से बोरिया बिस्तर समटने का आदेश जारी कर दिया गया है.
जेल सिंह ने कहा कि गार्ड का काका कहकर बुलाना सम्माजन था लेकिन गाड़ी को वहां से हटवाना अध्यक्ष जी को इतना नागवार गुजरा की गरीब की नौकरी चली गई. इस मामले में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट बिपिन नायक के मुताबिक गार्ड ने लिखित में यह बयान दिया है उसने स्पीकर को काका कहा और गाडी पार्क करने से मना किया.
बिपिन ने कहा कि इससे पहले भी इस एजेंसी के गार्ड के खिलाफ दुर्व्यहार की कई शिकायते आ चुकी हैं जिसके लिए उन्हें कई बार चेतावनी भी दी जा चुकी है. इस पुरे मामले में खुद को पाक साफ़ बताते हुए अध्यक्ष रमणलाल वोरा का कहना है की किसी नेता होने के नाते नहीं बल्कि एक आदमी को भी ऐसा जवाब स्वीकार्य नहीं है जैसा उस वक्त वहा मौजूद गार्ड किरण वाघेला ने उन्हें दिया था.