महासमुंद : स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाएं केवल कागजों में ही कामयाब होती दिख रही हैं. असलियत से इनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. वास्तविकता में की ग्रामिण इलाके में खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित होने के बाबजूद गांव अभी तक खुले में शौच मुक्त नहीं हैं.
छत्तीसगढ़ से एक ऐसे ही गांव का मामला सामने आया है. जिसे ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया है लेकिन वास्तविकता में ग्रामिणों को अभी भी खुले में शौच करने से मुक्ति नहीं मिली है. महासमुंद जिले के छिर्रावाहरा गांव को पूर्ण रूप से खुले में शौच मुक्त गांव घोषित कर सरपंच सचिवों को सम्मानित भी किया जा चुका है, लेकिन वहां की हकीकत कुछ और ही है.
गांव में आज भी कई घरों में शौचालयों का निर्माण नहीं किया गया है. आज भी कई लोगों को शौच के लिए घरों के बाहर जाना पड़ता है. अगर कहीं शौचालय बनाए भी गए हैं तो आधे-अधूरे या सिर्फ गड्ढे करके ही छोड़ दिया गया है.
गांव के सभी घरों की फर्जी सूचि तैयार कर गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी के घर में शौचालय नहीं बनाया गया है. सचिव सरपंचों ने फर्जीवाड़ा करके गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया.
इतना ही नहीं लोगों को शौचालय निर्माण के लिए आधी राशि ही दी गई जिसकी वजह से शौचालय अधूरे ही बने हैं. ऐसे में लोग अभी भी खुले में शौच करने जाने के लिए मजबूर हैं.