मुंबई: इस बीच महाराष्ट्र में किसान आंदोलन से गरमाया माहौल थोड़ा ठंडा पड़ा है. यूपी की तर्ज पर कल महाराष्ट्र में भी किसानों की कर्जमाफी का एलान हो गया. इससे राज्य में 10 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हो गया और अब किसानों में जश्न का माहौल है. ठाणे में किसानों ने लोगों के बीच दूध और सब्जियां बांटकर खुशी का इजहार किया. इधर मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन शांत पड़ने लगा है. हालांकि आज कुछ जगहों पर छिटपुट प्रदर्शन भी हुए.
आंदोलन के दबाव में महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की कर्जमाफी का एलान तो कर दिया, लेकिन इसे अमल में लाना सरकार के लिए आसान काम नहीं है. महाराष्ट्र के बाद अब कर्नाटक और पंजाब के किसान भी कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में अलग अलग शहरों से आने वाली किसान आंदोलन की आग कर्जमाफी के एलान के साथ ही थम गईं. लेकिन सवाल ये है कि कर्जमाफी के लिए सरकार पैसे कहां से लाएगी. फिलहाल महाराष्ट्र में 31 लाख छोटे किसानों की कर्जमाफी का एलान हुआ है. इसके लिए कुल 30 हजार करोड़ की जरूरत पड़ेगी. जबकि महाराष्ट्र सरकार पहले से ही 4 लाख करोड़ के कर्ज में है.
ये समस्या सिर्फ महाराष्ट्र की नहीं है, यूपी ने भी 36 हजार करोड़ की कर्जमाफी का ऐलान कर दिया है. इसलिए केन्द्र ने पहले ही कह रखा है कि कर्जमाफी का फैसला राज्य सरकारें अपनी वित्तीय हालत देखकर लें. क्योंकि केन्द्र इस मामले में कोई मदद नहीं करेगा. केन्द्र के इस रुख की भी वजहें हैं क्योंकि फिलहाल देशभर में किसानों पर 12 लाख 60 हजार करोड़ का कर्ज है.
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि ऐसे लोक-लुभावने कदमों से जीडीपी पर बड़ा असर होगा.कुछ दिनों में गुजरात में चुनाव होने हैं. साल 2019 में देश का महाचुनाव होना है. ऐसे में कर्जमाफी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा दांव तो हो सकता है, लेकिन ये एक ऐसा दांव है जिसमें आगे कुआं है और पीछे खाई है.