मुंबई: शिवसेना-बीजेपी के बीच राजनीतिक दूरियां बढ़ती ही जा रही है. किसानों के क़र्ज़ माफ़ी को लेकर शिवसेना बीजेपी से दो-दो हाथ करने को तैयार हो गई है. शिवसेना किसी भी सूरत में सरकार से समझौते के मूड में नहीं है. अगर ऐसा ही रहा तो शिवसेना महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापस ले सकती है.
हालांकि बहुत कुछ उद्धव ठाकरे पर निर्भर करेगा, क्योंकि वे कल विदेश से मुंबई लौट रहे हैं. जिसके बाद ऐसा माना जा रहा है कि पिछले 8 दिनों से जारी किसान आंदोलन में एक नया मोड़ आ सकता है. आज जिस तरह से बीजेपी और शिवसेना के नेता बयानबाज़ी कर रहे हैं उससे यही समझ में आने लगा है की अब बीजेपी चाहती है की शिवसेना दूर हो जाए, क्योंकि वह हमेशा भाजपा के हर फ़ैसलों पर सवाल खड़े कर बीजेपी को कटघरे में खड़े करने की कोशिश करती आई है.
आज भाजपा नेता और मंत्री सुधीर Mungantiwar ने शिवसेना पर निशाना साधते हुए कहा की शिवसेना की भूमिका मतलब कैबिनेट में “हम साथ साथ हैं” लेकिन बाहर आने पर “हम आपके हैं कौन?” ऐसी भूमिका लेती है शिवसेना. भाजपा के इस बयान से बौखलाए शिवसेना नेता संजय राउत ने भी भाजपा पर निशाना साधा.
राउत ने कहा कि यदि किसान ऐसे ही आत्महत्या करते रहे और उनका श्राप मिलता रहा तो कोई भी सरकार हिल जाएगी. शिवसेना को सत्ता की परवाह नहीं है. किसानो का समर्थन देने पर अगर भाजपा को समस्या आ रही है तो ऐसा बताए. उन्होंने कहा कि हां किसानों के मुद्दे पर शिवसेना और बीजेपी के बीच मतभेद है. अगर शिवसेना की भूमिका से भाजपा परेशान है तो सत्ता से हट जाए. भाजपा वाले बोल रहे हैं की उद्धव ठाकरे विदेश में हैं लेकिन हमारा कहना है की इन दिनो मोदी विदेश में हैं.
राष्ट्रपति चुनाव पर राउत का बयान.
राष्ट्रपति के चुनाव पर शिवसेना की स्वतंत्र भूमिका है. हिंदू राष्ट्र अगर बनाना है तो मोहन भागवत से अच्छा दूसरा कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के लिए परफेक्ट उम्मीदवार नहीं हैं. भागवत का नाम आए तो शिवसेना समर्थन करेगी उनका.