मुंबई: मनी लाॉन्डरिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय जल्द ही एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार को पूछताछ के लिए बुला सकती है. साल 2015 में ईडी ने महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो के एफआईआर के बेसिस पर मनी लॉन्डरिंग का केस दर्ज़ किया था जिसमे सिचाई महकमे के 6 अधिकारियों के साथ-साथ एक कॉन्ट्रैक्ट फर्म के पांच पार्टनर्स को भी आरोपी बनाया गया था.
ईडी सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इस मामले में अजित पवार और उनकी पत्नी को अपना बयान दर्ज़ करने के लिए बुलाया जा सकता है. हालंकि ईडी ने सिचाई घोटाले में जो मामला दर्ज़ किया है उसमे पवार या उनकी बीवी का नाम नहीं है. ईडी, पवार के जल संसाधन मंत्री रहते उनके चचेरे भाई जगदीश कदम के कंपनी राज प्रमोटर्स एंड सिविल इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए 1000 करोड़ रुपये के 20 ठेकों की जांच कर रही है.
ईडी को शक है की कदम की कंपनी आरपीसीई को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सिचाई ठेको के एवज़ में मिले पैसो को 70 फ़र्ज़ी कम्पनियों में डाइवर्ट करके अजित पवार और उनकी पत्नी के नाम से प्रॉपर्टी खरीदने में लिए इस्तेमाल किया गया है. ईडी सूत्रों के मुताबिक जगदीश कदम, अजित पवार और उनकी पत्नी इन 70 कम्पनियों में से अधिकतर में डायरेक्टर के पद पर है. ईडी जगदीश कदम का उन 70 फ़र्ज़ी कम्पनिंयो से रिश्ते की भी जांच कर रही है जिसमे सिचाई घोटाले में दिए गए ठेकों से मिले पैसों के लेनदेन के सबूत मिले है.
ईडी ने महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो से आरपीसीई कम्पनी के बारे में और सिचाई घोटाले में चल रही जांच से जुडी जानकारी मांगी है. ईडी से पहले महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने ने सिचाई घोटाले में मामला दर्ज़ किया था जिसकी जांच अभी चल रही है.