पटना: नवादा जिले के रहने वाले निरंजन उन 35 छात्रों में से एक हैं जिन्होंने यूपीएसई की परीक्षा पास कर बिहार का नाम रौशन किया है. निरंजन के पिता खैनी (कच्ची तंबाकू) बेचते हैं. निरंजन के मुताबिक जब उनके पिता दुकान पर नहीं होते तो वो भी खैनी बेचते थे. नवादा जिले के छोटे से गांव पकरी बरावन के रहने वाले निरंजन के पिता अब भी खैनी बेचने का काम करते हैं और उनकी मासिक आय 5000 रूपये महीना है.
तीन भाई और एक बहन में से एक निरंजन ने काफी संघर्ष करके ये मुकाम हासिल किया है. निरंजन के मुताबिक ‘ मेरे पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपने बच्चों को पढ़ा सकें. मैने जवाहर नवोदय विद्यालय की परीक्षा पास की क्योंकि वहां शिक्षा मुफ्त है. नवादा से दसवीं करने के बाद निरंजन साइंस कॉलेज पटना से बारहवीं करने के लिए निकल गए.
बीते दिनों को याद करते हुए निरंजन बताते हैं कि ‘ उस दौरान मेरे लिए दो साल की ट्यूशन फीस 1200 निकालना बहुत मुश्किल था. मैं हर रोज कोचिंग के लिए 8 से 10 किलोमीटर पैदल जाता था. करीब डेढ़ साल के बाद मैने 600 रूपये में एक सैंकेड हैंड साइकिल खरीदी जो पैसे मैने ट्यूशन पढ़ाकर जमा किए थे.
इसके बाद निरंजन धनबाद में माइनिंग इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लिया. इसके लिए उन्होंने चार लाख रूपये का एजुकेशन लोन भी लिया और कोल इंडिया लिमिटेड में काम करते हुए उसे वापस भी कर दिया.
इस दौरान उनके साथ काम करने वाली डिजिटल डिजाइनर नुपुर गुप्ता से उनकी शादी हुई और फिलहाल उनकी एक महीने की बेटी है. निरंजन के पिता अरविंद कुमार और उनकी मां यशोदा देवी को अपने बेटे की कामयाबी पर गर्व है.
हालांकि निरंजन अपने प्रदर्शन से खुश नहीं है. उन्हें 728वां रैंक हासिल हुआ है और उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस में ज्वाइनिंग मिलेगी लेकिन वो आईपीएस बनना चाहते हैं इसलिए वो अगले साल फिर से परीक्षा में बैठेंगे.