मुंबई: पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट छत्रपति शिवाजी मेमोरियल पर टेंडर के संकट मडराने लगे हैं. मेमोरियल के पहले फेज निर्माण के लिए 2500 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है, लेकिन इसके लिए जो टेंडर आएं हैं उनमें सबसे कम वाला टेंडर 3826 करोड़ का L&T ने भरा है. मतलब जितनी राशि पूरे मेमोरियल के लिए निर्धारित उससे कही ज्यादा का तो टेंडर पहले ही फेज के लिए गया है.
मेमोरियल के पहले फेज के निर्माण के लिए कुल तीन कंपनियों ने टेंडर भरा है जिसमें रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, Afcons इन्फ़्रस्ट्रक्चर ने 4779 करोड़ का और L&T का नाम शामिल है. टेंडर में टेक्निकल बीड में पीछे होने के कारण रिलायंस पहले ही बाहर हो गई. अब बची दो कंपनी जिसमें L&T और Afcons इन्फ़्रस्ट्रक्चर है.
इसमें भी Afcons के टेंडर की राशि 4779 करोड़ है जो की निर्धारित राशि के साथ L&T के 3826 करोड़े के टेंडर से बहुत ज्यादा है. यानि अगर यह टेंडर L&T को मिलता भी है तो सरकार पहले ही फेज में पहले से अनुमानित राशि से कई सौ करोड़ ज्याद पैसे खर्च करने पड़ेंगे.
सरकार के पास ये दो रास्ते
अब सरकार के सामने सबसे बड़ी मुसीबत ये हो गयी है की आख़िर इतने अधिक रुपए का टेंडर आया कैसे? अब सरकार की तरफ़ से इस पर विचार किया जा रहा है कि अगर L&T से बात चीत के बाद हल नहीं निकला तो सरकार फिर से टेंडर निकालेगी. जिससे ये साफ होता है कि छत्रपति शिवाजी मेमेरियल के निर्माण में लंबा वक्त लगने वाला है.
वैसे पहले से ही इस पर विवाद चल रहा है. तमाम लोगों का मानना है की ऐसा मेमोरियल बनाना सिर्फ़ जनता के पैसे को बर्बाद करना है. क्योंकि पहले से महाराष्ट्र में ३०० क़िले हैं जिनकी देख रेख ठीक से नहीं हो पा रही है तो इसे बनाने का कोई मतलब ही नहीं.