चंडीगढ़: जिंदगी की जंग जितने के लिए आपके पास दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो आप दुनिया की हर चीज को अपनी मुट्ठी में कर सकते हो. ऐसा ही एक उदाहरण हरियाणा की डॉ सुनिता मल्हान ने पेश किया है. ट्रेन हादसे में अपना दोनों हाथ गंवा चुकी मल्हान ने अपने पैरों से भगवान श्री राम पर 102 पेज की किताब लिख दी.
यही नहीं हाथ कटने के बाद एमफिल भी किया फिर रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में नौकरी भी पा गईं. फिलहाव वे महिला छात्रावासा की वार्डन हैं. जिंदगी जीने के इस साहस ने सुनिता नईं उचाईयों तक पहुंचा दिया है. हालांकि इस बीच सुनिया को बहुत सारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा फिर वो जिंदगी से हार नहीं मानी.
डा. सुनिता कहती है कि जिंदगी की जंग जीतने के लिए हाथों से ज्यादा जरूरी है मनुष्य का साहस, उत्साह और उसका संकल्प. उन्होंने कहा कि वे कभी भी 1987 की उस घटना को नहीं भूल पाएंगी, जब ट्रेन में चढ़ते वक्त उनका पैर फिसल गया और दोनों हाथ कट गए. वब वे एमए की स्टूडेंट थीं.
शादी भी हो गई थी, लेकिन हाथ कटने के बाद पति से आखिरी मुलाकात अस्पताल में ही हुई, उसके बाद पति शब्द ही जिंदगी से खत्म हो गया. तब से आज तक पति सुनिता को देखने वापस नहीं लौटे. अब जिंदगी में एक नहीं दो हादसे हो गए. लेकिन सुनिता इन हादसे से उपर उठते हुए नई जिदंगी शुरू करने की ठानी. एमए, एमफिल किया. रोहतक विश्वविद्यालय में नौकरी मिल गई.
राज्यपाल ने किताब का विमोचन किया
सुनिता के जिंदगी में ये दिन सबसे खास रहा जब हरियाणा के राज्यपाल प्रो.कप्तान सिंह सोलंकी ने भागवान श्री राम पर लिखी उनकी 102 पेज की किताब का हाल ही में विमोचन किया.
राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सम्मानित
सुनिता को राष्ट्रपति के हाथों भी सम्मान प्राप्त हुआ है. साल 2009 में सुनिता को सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी और 2010 में रानी लक्ष्मीबाई स्त्री शक्ति पुरस्कार ने नवाजी गईं हैं. जबकि 2011 में उन्हे राज्य का सर्वोच्च खेल पुरस्कार भीम अवार्ड से नवाजा गया है.