बनारस: अब पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस बिजलीसे जगमगाने वाला है. बनारस की ऊर्जा समस्या का सामाधान निकाल लिया गया है. सेन्टर फॉर एन्वायरमेन्ट एण्ड इनर्जी डेवलपमेन्ट (सीड) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि बनारस की उर्जा समस्याओं का समाधान सौर ऊर्जा को अपना कर किया जा सकता है, जिसके अंतर्गत बनारस के 8 परसेंट मकानों पर सोलर पैनल लगाने से 676 मेगावाट बिजली बन सकती है.
दरअसल, ‘वाइब्रेन्ट वाराणसी: ट्रांसफार्मेश थ्रू सोलर रूफ टॉप’ नामक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि बनारस शहर की सिर्फ 8.3 प्रतिशत छतों पर सोलर पैनल लगाकर 676 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है जो कि न केवल पूरी तरह से प्रदूषण से मुक्त होगी, बल्कि सस्ती भी होगी.
बताया जा रहा है कि बनारस में छतों पर सौर ऊर्जा के पैनल उत्तर प्रदेश की बिजली समस्या और बिजली की बढ़ती कीमतों का सामाधान है. साथ ही ये सौर ऊर्जा की कीमतें परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के मुकाबले काफी सस्ती भी होंगीं. साथ ही सौर ऊर्जा के जरिये बनारस को ग्रीन कैपिटल के रूप में विकसित भी किया जा सकता है.
बता दें कि रिपोर्ट में बनारस के ऐसे इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां सुरज की रोशनी अबाध रूप से पहुंचती है. बताया जा रहा है कि ऐसे 8.1 वर्गकिलोमीटर की छत है, जहां अधिकतम सूरज की रोशनी पड़ती है. खास बात ये है कि इन छतों पर सौर उर्जा पैनल के जरिए 676 मेगावाट बिदली पैदा करने की क्षमता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बनारस में सौर ऊर्जा कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा सकता है, जिसके पहले चरण के तहत 2025 तक 300 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा किया जा सकता है. इससे ऊर्जा की बढ़ती मांग और सप्लाई के बीच के अंतर को पाटा जा सकता है. सौर ऊर्जा से बनारस शहर को चौबीस घंटे बिजली मिल सकती है.