लखनऊ: बूचड़खाने के मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी सरकार की जमकर फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि आप किसी को मांसाहारी खाना खाने से नहीं रोक सकते हैं. बूचखड़खाना बनाना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है.
हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को झटका देते हुए उस पक्ष का भी खारिज कर दिया जिसमें राज्य सरकार ने कहा था कि बूचड़खाना बनाना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि आप ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे स्थानीय स्तर पर बूचड़खाने बनाए जा सके. इसके लिए जहां जमीनों का चिन्हींकरण नहीं हुआ है वहां जल्द से जल्द चिन्हींत किया जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि अभी जो ने लाइसेंस के आवेदन आ रहे हैं अगर वो नियमों को पूरा करते हैं तो उन्हें भी लाइसेंस दिया जाए. कोर्ट में इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि राज्य सरकार उनके लाइसेंस की अवधि खत्म होने से पहले ही बूचड़खाने बंद करवा दिया, साथ में लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन देने के बाद भी उसका नवीनीकरण नहीं किया जा रहा है.
योगी सरकार के बाद बंद हुए बूचड़खाने
यूपी में योगी सरकार आने के बाद से ही राज्य के सारे अवैध बूचड़खानों के लेकर सख्त कार्रवाई हुई थी. जिसके बाद राज्य के सभी मीट कारोबारियों ने हड़ताल की घोषणा कर दी थी. लेकिन सीएम योगी और मांस कारोबारियों की मुलाकात के बाद स्थिति में सुधार आया. सीएम से मुलाकात के बाद अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वो केवल अवैध बूचड़खाने पर ही कार्रवाई करें.