नई दिल्ली: पुलिसकर्मी भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की जमकर फटकार लगाई. सरकार के रोडमैप पर नाराजगी जताते हुए चीफ जस्टिस खेहर ने कहा कि ऐसे प्रस्ताव देने वाले को जेल भेज देना चाहिए. सीजेआई ने साफ शब्दों में कहा कि बिहार सरकार हमारी मजाक न बनाए.
हम सरकार के पुलिसकर्मियों की भर्ती पर नजर रख रहे हैं. सरकार कह रही है कि जुलाई 2019 यानी ढाई साल में 86 स्टेनोग्राफर की भर्ती पूरी होगी. आखिर इस काम में इतना वक्त क्यों लगेगा. कोर्ट ने राज्य सरकार के रोडमैप पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा स्टेनोग्राफी टेस्ट करें और लोगों को सलेक्ट करें.
इसमें इतना वक्त लगने का हवाला बिल्कुल गलत है. पुलिस भर्ती मामले में देश के छह राज्यों में पुलिस भर्ती को लेकर 21 अप्रैल को ही बड़े अफसरों को रोडमैप के साथ सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही तलब किया था. कोर्ट इस मामले पर पहले ही कह चुका है कि पुलिस भर्ती का मामला 2013 से लंबित है फिर भी राज्यों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. नोटिस भेजने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
शुक्रवार को नए रोडमैप के साथ पेश हों
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार के इस पुराने रोडमैप से काम नहीं चलेगा. कोर्ट ने एडिशनल सेकेक्ट्री को आदेश देते हुए कहा कि शुक्रवार को नए रोडमैप के साथ पेश हो.
राज्य के रवैये पर कोर्ट ने जाताई थी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट पहले भी देश में पुलिसकर्मियों की भर्ती के मामले में नाराजगी जताई थी. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के रोडमैप को देखने के बाद कोर्ट वहां पुलिस भर्ती करने का आदेश पिछले महीने ही दिया है. इस मामले में जस्टिस खेहर ने पहले कहा था कि साल 2015 का रिकॉर्ड बताता है कि देश में 4 लाख 33 हजार पुलिसकर्मियों की कमी है. इसके बाद भी राज्य इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.