नई दिल्ली: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती. अगर आप के अंदर हुनर है तो बड़े से बड़ी चीज आसानी से हासिल कर सकते हो. हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ की. तमाम सुविधाओं के अभाव के बावजूद यहां के 55 बच्चों ने IIT Jee की परीक्षा पास कर जिले के साथ-साथ पूरे राज्य का नाम रौशन किया है.
मध्य प्रदेश का ये आदिवासी बहुल जिला जहां की शिक्षा दर शायद देश मे सबसे कम हो, यहां की अधिकतर आबादी गरीबी रेखा के नीचे की है. कुछ साल पहले तक तो शिक्षा यहां के लोगों से कोसो दूर थी. लेकिन आज यहीं के बच्चे देश की सर्वोच्च इंजीनियरिंग परीक्षा में राज्य का नाम उंचा कर रहे हैं. समय के साथ-साथ जिले में कुछ अच्छे अध्यापक निकले, बच्चों को फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स पढ़ाने लगे बच्चे.
इन बच्चों ने कायम की मिशाल
1. झबुआ के अंबिका पठार का रहने वाला रोहित 10वीं में 77 प्रतिशत और आईआईटी में अच्छी रैंक हासिल किया है. रोहित के पिता पहले ही उसका साथ छोड़ चुके हैं. कुल चार भाई बहन, माँ 15 किलोमीटर दूर जाकर घरों में झाड़ू -पोछा कर मज़दूरी करती हैं. मकान कच्चा, स्कूल जाने के लिए बस के पैसे नहीं तो पैदल ही चल देना. घर के आस पास पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं. तीन किमी दूर से रोजाना घर के लिए पानी लाना. इन सब के बावजूत IIT की परीक्षा में अच्छी रैंक लाना किसी के लिए आसान नहीं.
2. परीक्षा में अच्छी रैंक लाने में लड़कियां भी शामिल हैं. झाबुआ की तंग अयोध्या बस्ती की रहने वाली प्रियंका बसोड़ ने भी परीक्षा में अच्छी रैंक हासिल कर सबको चौका दिया है. प्रियंका इस खुशी को अपने पिता के साथ नहीं बाट सकती क्योंकि पापा पहले ही साथ छोड़ चुके हैं. अयोध्या बस्ती में 2 कमरो का घर है मां स्कूल में सफाई कर्मी हैं. 2 हजार रुपए की आमदनी, एक भाई ढोल बजाकर जीविका चलता है दूसरा भाई कपड़े की दुकान पर सेल्स मैन है.
3. उसी जिले की आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही आशिका ने भी आईआईटी में अच्छी रैंक हासिल की है. अपने मुकाम हो हासिल करने के लिए आशिका मां को छोड़कर हॉस्टल में एडमिशन ले लिया. पूरा खर्चा सरकार देती है. मां घर पर मजदूरी कर किसी तरह से पेट पाल रही है. बेटी की उपलब्धि पर ज्यादा तो नहीं बोल सकती लेकिन चेहरे पर खुशी साफ झलकती है.
इन सब को मिला IAS सहारा
इन 55 बच्चो ने शिक्षकों की मदद से आज जो कारनामा किया है इसका श्रेय प्रशासनिक और शैक्षणिक अमले को भी जाता है. झाबुआ के उत्कर्ष सरकारी स्कूल की क्लासरूम में एक IIT परीक्षा पास IAS अधकारी जिला कलेक्टर आशीष सक्सेना सभी डाउट्स क्लियर करते हैं. काउंसिलिंग करते हैं, मॉडर्न प्रोजेक्टर से बाहर के शिक्षकों के लेक्चर उपलब्ध कराते हैं ताकि ये गरीब बच्चे शहरी बच्चो से कही पीछे न रह जाए. घर पर पढ़ाई के लिए नोट्स दिए जाते हैं और यह निशुल्क कोचिंग स्कूल की छुट्टी के बाद दी जाती है