नई दिल्ली: मरीजों के लिए हाई कोर्ट का ये फैसला राहत भरा साबित होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी अस्पताल मरीजों की ओर से बिल पेमेंट नहीं करने पर उनको बंधक नहीं बना सकता है.
कोर्ट ने कहा कि अगर पेशेंट पैसा नहीं होने पर बिल पेमेंट नहीं कर पाता है तो मरीजों को बंधक बनाने का तरीका गलत है. साथ में कोर्ट ने यह भी कहा कि इलाज का बिल बहुत ज्यादा है तो भी बिल की वसूली के लिए मरीज को नहीं रोका जा सकता है. हाई कोर्ट के जज विपिन सांघी की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पेशेंट को रिलीज न करने का जो तरीका अपनाया है वो निंदनीय है.
ऐसा है पूरा मामला
आपको बता दें कि इस मामले पर पेशेंट के बेटे ने कोर्ट में याचिक दायर कर बंदी प्रत्यक्षीकरण की गुहार लगाई थी. मरीज रिटायर्ड पुलिसमैन है और उन्हें पेट व इंटेस्टाइन की बीमारी है. इलाज के लिए उनको सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस बीच मरीज के बेटे ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर कहा कि अस्पताल के 13 लाख 45 हजार रुपए बकाया होने के कारण मरीज को रिलीज नहीं किया जा रहा है.
जबकि वो 3.3 लाख के बिल का पेमेंट कर दिया है. याचिका ने कोर्ट में दलील दी है कि अस्पताल उसके पिता का इलाज ठीक से नहीं कर रहा है. अब वो उनको किसी दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहता है. लेकिन अस्पताल बिल पेमेंट बाकी होने के कारण रिलीज ही नहीं कर रहा है.