नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के सुकमा हमले में घायल जवान अब अपने अधिकारियों से ही सवाल करना शुरू कर दिए हैं. वे बार-बार अधिकारियों से पूछ रहे हैं कि खुद के मानव अधिकारी की रक्षा कैसे की जाए. असल में जवाने के जेहन में ये सवाल तब आया है जब उन पर मानव अधिकारों के हनन का आरोप लगा.
सुकमा में लगातार दूसरी बार नक्सलिओं ने CRPF के जवानों को जबर्दस्त जान-माल का नुकसान पहुंचाया है. नक्सलिओं ने ग्रामीणों की आड़ ले कर सुरक्षा बलों पर फायरिंग की थी. CRPF के जवान इसका माकूल जवाब तुरंत देना चाहते थे, लेकिन ग्रामीणों के मारे जाने के आशंका के चलते उन्होंने काफी देर बाद फायर किया.
सीआरफीएफ के जवान मांग कर रहे हैं कि बस्तर में उनको स्पेशल पावर एक्ट दिया जाए. उधर सीआरपीएफ के आईजी देवेंद्र सिंह चौहान की दलील है कि बस्तर में पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों के मानव अधिकारों की रक्षा के प्रयास होने चाहिए.
इधर दोरनापाल से जगरगुंडा के बीच 56 किमी के मार्ग पर जंगलों के कई हिस्सों में नक्सलियों की खोजबीन जारी है. ये वही इलाका है जहां नक्सलियों और जवानों के बीच मुठभेड़ हुई थी.