तमिलानाडु: तमिलनाडु पिछले 140 सालों में सबसे भयंकर सूखे की समस्या का सामना कर रहा है. तमिलनाडु में पीनी की भयानक किल्लत हो गई है. राज्य में पानी दुर्लभ वस्तु बनती जा रही है. पानी की बूंदों को बचाने की जिम्मेवारी सब पर आती है.
लेकिन सबसे बड़ी समस्या है कि आखिर कैसे तमिलनाडु में पानी की इस समस्या से निजात पाई जाए. मगर तमिलनाडु के सहकारिता मंत्री सेलूर के राजू ने एक ऐसा अनोखा तरीका अपनाया, जिससे उनके मुताबिक, पानी को सुखने से बचाया जा सकता है. मंत्री राजू को कहीं से एक शानदार विचार मिला और उन्होंने इसे प्रयोग में लाने का फैसला कर लिया.
इस प्लान को एक्जक्यूट करने के लिए मंत्री ने शुक्रवार को मदुरै में वैगई बांध पर पत्रकारों को बुला लिया. हालांकि, वहां पहुंचने के से पहले किसी को भी नहीं पता था कि मंत्री जी क्या करने वाले हैं.
डैम पर पहुंचने के बाद ही उन्होंने अपनी योजना का खुलासा किया. नदी के पानी को बाष्पीकरने से रोकने के लिए उन्होंने थर्मोकोल के शीट्स को पूरे नदी के सतह पर फैलाने का सुझाव दिया. इन्होंने पानी बचाने के लिए दस लाख के थर्माकॉल वैगई डैम पर तैरा दिए. मंत्री के मुताबिक, इस तरह से नदी का पानी भाप नहीं बनेगा और किसानों के लिए पानी बचेगा.
मंत्री ने इसके पक्ष में कहा कि देश-विदेश में जल को बचाने कि लिए ऐसे प्रयोग किये गये हैं. मगर अफसोस कि मंत्री जी की योजना विफल हो गई. जैसे ही पानी में थर्मोकोल के शीट्स को बिछाया गया, वैसे ही वो पानी में इधर-उधर बिखर कर फैलने लगी और बाद में हवा और पानी की धार के कारण डैम के किनारे सभी थर्मोकोल आ गये.
हैरान करने वाली बात ये है कि ये उन लोगों के सामने ही हुआ, जिन्हें शीट पानी में फैलाने का काम सौंपा गया था.
मंत्री जी की योजना विफल हो चुकी थी, मगर फिर भी एक शर्मिंदगी के मारे मंत्री ने एक बार फिर से शीट्स को पानी पर वापस लाने की कोशिश की, मगर सारे थर्मोकोल डैम के किनारे ही लग गये.
हैरान करने वाली बात ये है कि इस काम के लिए मंत्री जी ने करीब 10 लाख रूपये की परियोजना बनाई थी, जिसमें उन्होंने डैम के पूरे सतह को कवर करने के लिए उन्होंने दस लाख के शीट्स खरीदे थे. मंत्री जी के इस प्रयास से पानी को तो नहीं बचाया गया, मगर दस लाख रूपये जरूर बर्बाद हुए और डैम जरूर दुषित हो गया.