अयोध्या: बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार समेत 13 लोगों के खिलाफ केस की सुनवाई का आदेश दिया है. इस आदेश पर बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने जहां प्रसन्नता व्यक्त करते हुए न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास जताया है, वहीं राम मंदिर आंदोलन से जुड़े विहिप और संतों ने कोर्ट से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.
जन्मभूमि के संतों ने दी पुनर्विचार की सलाह
श्री राम जन्म भूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, राम जन्म भूमि मंदिर के पक्षकार महंत धर्मदास और विश्व हिन्दू परिषद् के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि विवादित ढांचा विध्वंस अयोध्या में एकत्र हुई भीड़ के बीच उपजे आक्रोश का नतीजा था. उन्होंने कहा कि जिन्हें दोषी कहा जा रहा है वे भीड़ को मना कर रहे थे और बालू से कार सेवा कर रहे थे. भीड़ की किसी कारगुजारी के लिए व्यक्ति विशेष के लोगों को दोषी ठहराना उचित नहीं है. इसलिए कोर्ट से निवेदन है कि वह अपने आदेश पर पुनर्विचार करे.
हाजी महबूब ने किया फैसले का स्वागत
वहीं बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब और इकबाल अंसारी दोनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि हमें अपने देश की कानून-व्यवस्था और न्याय पालिका पर पूरा भरोसा है. आज जो आदेश कोर्ट द्वारा आया है उसने साफ कर दिया कि दोषी को दोषी के रूप में ही देखा जा रहा है और ढांचा विध्वंस के मामले में निष्पक्ष सुनवाई की जाएगी. उनका कहना था कि आज का दिन हमारे लिए खुशी का दिन है.
SC का आदेश
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती को बड़ा झटका लगा है. इन तीनों नेताओं समेत 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा. हालांकि इन 13 लोगों में से 3 का निधन हो चुका है तो अब 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लखनऊ कोर्ट को 4 हफ्ते में इस मामले की सुनवाई शुरू करनी होगी. साथ में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जब तक कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं तब तक उन पर कोई केस दर्ज नहीं हो सकता है.