ये हैं एक ऐसे IAS ऑफिसर, जिन्हें 33 साल की सेवा में 68 बार किया गया ट्रांसफर

आज की राजनीति कुछ ऐसी हो चली है कि जो अधिकारी राजनेताओं के हां में हां मिलाकर चलता है, वो अधिकारी मनमाफिक जगह पर नौकरी पाता है. मगर जो अपनी सिद्धांतों और जमीर से समझौता नहीं करता, उसे लगातार तबादले के दंश झेलने पड़ते हैं. आज ये कहानी एक ऐसे आईएएस ऑफिसर की है, जिसने अपने सिद्धांत और मिजाज को कभी नहीं बदला, शायद यही कारण रही कि उन्हें हर सरकार में तबादले का तोहफा मिलता रहा.

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ये हैं एक ऐसे IAS ऑफिसर, जिन्हें 33 साल की सेवा में 68 बार किया गया ट्रांसफर

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  • April 18, 2017 11:42 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

हरियाणा: आज की राजनीति कुछ ऐसी हो चली है कि जो अधिकारी राजनेताओं के हां में हां मिलाकर चलता है, वो अधिकारी मनमाफिक जगह पर नौकरी पाता है. मगर जो अपनी सिद्धांतों और जमीर से समझौता नहीं करता, उसे लगातार तबादले के दंश झेलने पड़ते हैं. आज ये कहानी एक ऐसे आईएएस ऑफिसर की है, जिसने अपने सिद्धांत और मिजाज को कभी नहीं बदला, शायद यही कारण रही कि उन्हें हर सरकार में तबादले का तोहफा मिलता रहा. 

बीते बुधवार को हरियाणा सरकार ने करीब 19 आईएएस ऑफिसर का तबादला किया. इसमें राज्य के सीनियर नौकरशाह प्रदीप कासनी का भी नाम शामिल था, जिन्हें एक बार फिर से तबादले का तोहफा मिला. हैरानी इसलिए भी नहीं हो रही है क्योंकि प्रदीप कासनी अपनी 33 साल की नौकरी में 68 तबादले झेल चुके है. और अब वे अगले साल रिटायर हो जाएंगे. ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड ही है. 
 
हैरान करने वाली बात ये है कि इनके 13 तबादले तो सिर्फ ढाई साल के बीजेपी की सरकार में हुए. आईएएस ऑफिसर प्रदीप का हाल ही में हरियाणा खादी और ग्रामीण उद्योग बोर्ड, गरिमा मित्तल में हुआ है. 
 
आपको बता दें कि ऑफिसर प्रदीप साल 1997 के आईएएस ऑफिसर हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि साल 2016 में महज एक महीने के भीतर इनका तीन बार तबादला किया गया. इससे साफ पता चलता है कि  जो अधिकारी, सत्ता के साथ नहीं चलते उनके साथ ये सरकारें कैसा हश्र करती हैं. 
 
ऐसे अधिकारी का इस तरह से लगातार तबादले करना ये राजनीतिक पार्टियों के काम-काज को दिखाता है.  साल 1984 में स्टेट सीविल सर्विस अधिकारी के तौर प्रदीप ने नौकरी की शुरुआत की थी.
 
गौरतलब है कि प्रदीप पहले ऐसे अफ़सर नहीं हैं, जिन्हें उनकी ईमानदारी का तोहफ़ा ट्रांसफर के रूप में मिला है, उनसे पहले IAS अफ़सर अशोक खेमका भी इस दंश को झेल चुके हैं.

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