सिक्किम: आज के जमाने क्या आप चिट्ठी की कल्पना कर सकते हैं? दुनिया पूरी तरह से डिजिटल हो रही है, अब अपनी बात लोग सेकंड में ही सात समुद्र पार पहुंचा दे रहे हैं, मगर एक शख्स ऐसा भी है, जो इस दौर में भी चिट्ठियों का आदान-प्रदान करता है. दरअसल, सिक्किम के भीम बहादुर तमांग शेरथांग बीते 25 सालों से पोस्टमैन का काम कर रहे हैं और सीमा पोस्ट से चीन जाकर चिट्ठी का लेन-देन करते हैं.
हिंदुस्तान टाइस्म की रिपोर्ट के मुताबिक, सिक्किम में रहने वाले भीम बहादुर तमांग 25 सालों से पोस्टमैन की जॉब कर रहे हैं. हर गुरुवार की सुबह 61 वर्षीय भीम बहादुर भारत और चीन के बीच में पुल के रूप में काम करते हैं. खास बात ये है कि भीम बहादुर मेल देने के लिए 14 हजार फुट की ऊचांई पर बर्फ के रास्ते नथुला पर्वतीय सीमा पार कर चीन जाते हैं.
ठंड से बचने के लिए वो जैकेट पहनते हैं और कानों और सर को ढक कर भीम बहादुर सुबह करीब 8:30 बजे भारतीय सीमा को पार करके चीन की सीमा में प्रवेश करते हैं. हालांकि, वो अवैध रूप से सीमा पार नहीं करते, बल्कि वो ये सब दोनों देशों के आधिकारिक मंजूरी लेने के बाद ही करते हैं.
दोनों देशों की कड़ी सुरक्षा के बीच भीम बहादुर चीन जाकर एक शेड के भीतर चीनी युवक के साथ चिट्ठी से भरे बैग का आदान-प्रदान करते हैं. उधर से जो बैग वो लाते हैं, उनमें भारतीयों के चिट्ठि होते हैं.
भीम बहादुर के मुताबिक, वे सिर्फ बैग का लेन-देन करते हैं, मेल मेनिफेस्ट पर हस्ताक्षर करते हैं और शेड को छोड़ देते हैं. वे लोग कोई बातचीत नहीं करते, क्योंकि चीनी शख्स को चीनी के अलावा कोई दूसरी भाषा नहीं आती, हालांकि, उन्हें हिंदी और नेपाली दोनो भाषा आती है.
गौरतलब है कि साल 1967 में एक इंडो-चीनी समझौते ने औपचारिक रूप से प्रसिद्ध नाथुला पास सीमा पोस्ट के माध्यम से चिट्ठी के लेन-देन की मान्यता दी. बता दें कि नाथुला पास सीमा पोस्ट गंगटोक से लगभग 55 किमी दूर है.