नक्सली चाहते हैं कि खत्म न हो पिछड़ापन, हर साल 1100 करोड़ की करते हैं वसूली : एसआरपी कल्लूरी

रायपुर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या छत्तीसगढ़ की पुलिस अपना पक्ष रखने में कमजोर पड़ जाती है? ये सवाल बस्तर आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी के बयान के बाद उठ खड़े हुए हैं. दरअसल एसआरपी कल्लूरी ने ‘बौद्धिक आतंकवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कहा कि  दिल्ली […]

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नक्सली चाहते हैं कि खत्म न हो पिछड़ापन, हर साल 1100 करोड़ की करते हैं वसूली : एसआरपी कल्लूरी

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  • April 16, 2017 8:24 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
रायपुर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या छत्तीसगढ़ की पुलिस अपना पक्ष रखने में कमजोर पड़ जाती है? ये सवाल बस्तर आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी के बयान के बाद उठ खड़े हुए हैं.
दरअसल एसआरपी कल्लूरी ने ‘बौद्धिक आतंकवाद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ विषय पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कहा कि  दिल्ली में एनएचआरसी और सुप्रीम कोर्ट में हम अपनी बात कहने मेम कमजोर पड़ रहे हैं.
कल्लूरी ने कहा कि मानवाधिकार आयोग की सोच बस्तर को लेकर बिल्कुल अलग है. कल्लूरी यही नहीं रुके उन्होंने बस्तर से पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर पर सांकेतिक तौर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि किसी की भी पगड़ी गिर जाती है, तो बस्तर में अच्छा काम करने वाले अधिकारी को हटा दिया जाता है.
कल्लूरी ने कोई महिला दस लोगों को साथ लेकर कुछ कर देती है, तो हंगामा मच जाता है. लेकिन आज एक बच्चा ब्लास्ट में खत्म हो गया तो कुछ नहीं. आईजी एसआरपी कल्लूरी ने कहा बस्तर में वर्दी पहनकर जो लड़ते है उससे ज्यादा ताकतवर सफेद पोश लोग हैं.
एसआरपी कल्लूरी ने कहा इस परिचर्चा में मैं सिर्फ सुनने आया था. बोलने नहीं क्योंकि ज्यादातर लोगों को पता है कि क्यों? उन्होंने कहा कि बस्तर में बाहर से आने वाले लोग हवाई जहाज से आते हैं और इसलिए वो हवाई जानकारी भी रखते हैं.
पुलिस महानिरीक्नषक ने कहा कि क्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले कहते है कि पिछड़ापन की वजह से नक्सलवाद है, लेकिन नक्सलियों की मिलिट्री बॉडी ये कोशिश करती है कि पिछड़ापन समाप्त ना हो. उनकी कथनी और करनी में अंतर है.
कल्लूरी ने कहा कि 2004 से अब तक नक्सल क्षेत्र में ही काम कर रहा हूं. नक्सली बस्तर से सालाना 1100 करोड़ रुपये वसूलते हैं. ये वसूली मिनरल कॉन्ट्रेक्टर, ब्यूरोक्रेट, फारेस्ट अधिकारियों से की जाती है.
उन्होंने कहा कि  ये अंतरराष्ट्रीय साजिश है कि भारत सुपर पावर न बन पाए. हमारे पास ऐसी रिपोर्ट है कि माओवादियों को विदेशी मदद मिल रही है. शहरों में रहने वाले  ‘नक्सली’ उन्हें संरक्षण दे रहे हैं.
आपको बता दें कि बौद्धिक आतंकवाद एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता विषय पर आयोजित इस परिचर्चा का आयोजन हिन्दू युवा मंच ने किया था.
इसमें फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री और सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोरा ने भी हिस्सा लिया. मोनिका ने अपने भाषण में मानवाधिकार के लिए लड़ने का दावा करने वाले संगठनों पर जमकर निशाना साधा.
 

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