लातूर. आधार कार्ड धीरे-धीरे सबकी जरूरत बनता जा रहा है. सरकार भी हर सुविधा को इससे जोड़ रही है. लेकिन क्या 3 साल पहले बिछड़े किसी बच्चे को उसको परिवार से भी मिला सकता है.
दरअसल महाराष्ट्र के लातूर जिले में एक ऐसा ही वाकया सामने आया है जहां 14 साल का मूक-बधिर बच्चा जो तीन साल पहले खो गया था वह दोबारा अपने परिवार से मिल गया है. इस बच्चे का नाम संजय है.
मिली जानकारी के मुताबिक संजय नागनाथ येनकुर का 3 साल पहले किसी बात पर अपने भाई से झगड़ा हो गया था. इसके बाद वह नाराज होकर कहीं चला गया. घूमते-फिरते वह गुजरात के वदोडरा में पहुंच गया.
जहां उसको बाल सुरक्षा आयोग की टीम ने स्कूल में दाखिला कर दिया. इस स्कूल में उसका एडमीशन अनाथों की श्रेणी के तहत किया गया और नाम न पता होने से उसको आकाश नाम से पुकारा जाने लगा.
एक दिन स्कूल में सभी बच्चों का आधार कार्ड बन रहा था जिसके लिए आंखों के रेटिना और हाथ के पंजे के निशान लिया जाता है. जब आकाश का नंबर आया तो उसके रेटिना और हाथ के पंजे के निशान पहले से ही रिकॉर्ड में दर्ज थे.
जब विभाग ने उसका पूरा रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि वह महाराष्ट्र के लातूर जिले के गांव हैंचल का रहने वाला है जो वडोदरा से 640 किमी दूर था. हैंचल गांव कर्नाटक और महाराष्ट्र की सीमा पर बसा है.
इसके बाद जब आकाश यानी संजय के घरवालों से संपर्क किया गया तो पूरी कहानी सामने आ गई इसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद से संजय को उसके परिवार से मिला दिया गया.
इस पूरे मामले की चर्चा वदोडरा और लातूर दोनों जगहों पर हो रही है साथ ही आधार कार्ड की भी तारीफ की जा रही है लोगों का कहना है कि अभी तक ऐसी बातें सिर्फ फिल्मों में देखने को मिलती थीं.