उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फेसबुक पर लिखी ‘मन की बात’

देहरादून. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत सोमवार को सरकारी आवास खाली कर देंगे. उस बात की जानकारी उन्होंने फेसबुक पर दी है. इसके साथ ही इस पोस्ट में उन्होंने अपने मन की बात भी कही है. उन्होंन लिखा ‘दोस्तों मैं, सोमवार के अपराह्न, 3 वर्ष 2 माह तक घर, […]

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फेसबुक पर लिखी ‘मन की बात’

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  • April 9, 2017 10:19 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
देहरादून. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत सोमवार को सरकारी आवास खाली कर देंगे. उस बात की जानकारी उन्होंने फेसबुक पर दी है. इसके साथ ही इस पोस्ट में उन्होंने अपने मन की बात भी कही है.
उन्होंन लिखा ‘दोस्तों मैं, सोमवार के अपराह्न, 3 वर्ष 2 माह तक घर, कार्यालय, मित्रों, दोस्तों व शुभचिन्तकों का एक ठिकाना रहा बीजापुर गेस्ट हाउस खाली कर रहा हूं.
मैं बीजापुर गेस्ट हाउस को धन्यवाद देना चाहता हूं. बहुत अच्छी और चुनौतीपूर्ण यादें अपने साथ लेकर के जा रहा हूं. धन्यवाद बीजापुर.
पूर्व सीएम ने आगे लिखा ‘घर ढूढ़ने में सबको कठनाई आती है, मुझे भी आई. मैंने उस कठनाई को लोगों के साथ इसलिये शेयर किया कि, लोग नेताओं को घर देने में डरते क्यों हैं? इस पर चर्चा हो कहीं तो कुछ खोट है.’
 
रावत को याद आई आपदा
इस पोस्ट में रावत ने लिखा ‘बीजापुर गेस्ट हाउस में जब मैं रहने आया, राज्य भयंकर आपदा से ग्रस्त था. मैंने शपथ ली थी कि, जब-तक आपदा ग्रस्त राज्य की अर्थव्यवस्था व आवागमन को पटरी पर नहीं लाऊंगा और पीड़ितों का पुर्नवास पूर्ण नहीं हो जाएगा.
मैं बीजापुर गेस्ट हाउस में ही रहूंगा. राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर आयी, आवागमन पुनः स्थापित हुआ, हजारों लोगों के घर भी बने, मगर खतरे से जूझ रहे 350 गांवों का विस्थापन करने का सपना अधूरा रह गया’
गौरतलब है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हुई है. खुद हरीश रावत भी अपनी दोनों सीटें नहीं बचा सके. इस चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है. बीजेपी इस चुनाव में 70 में से 57 सीटें जीतने में कामयाब रही है जबकि कांग्रेस 11 सीटें ही जीत पाई है.
हार से उबर नहीं पा रही है कांग्रेस
उत्तराखंड में हुई करारी हार से कांग्रेस उबर नहीं पाई है. कांग्रेस कार्यालय में भी हमेशा ताला लटका रहता है. नेताओं का आना-जाना भी बिलकुल बंद है. जबकि एक समय इस कार्यालय में हमेशा गहमागहमी रहती थी. 
 

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