अहमदाबाद: देशभर में हिन्दू मंदिर तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन इस देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां की देवी के बारे में सुनकर आपको हैरानी होगी. दरअसल, ये मंदिर है तो हिन्दुओं का लेकिन इसमें पूजी जाने वाली देवी मुस्लिम हैं और यहां पर हर मुराद भी पूरी होती है.
अहमदाबाद से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर एक गांव है जिसका नाम ‘झूलासन’ है. वही झूलासन गांव जहा भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का भी पैतृक घर है और वे कई बार इस गांव में आ चुकी हैं. दिलचस्प बात ये हैं कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता.
झूलासन नाम के इस गांव में एक इकलौता मंदिर है जिसे ‘डोला मंदिर’ कहते हैं. इस मंदिर में एक मुस्लिम महिला की मूर्ति की पूजा होती है जिसे ‘डोला माता’ कहते हैं. ये मंदिर भी ‘डोला मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है. डोला माता के यहां बसने के पीछे कई कथाए हैं लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रचलित है वो कुछ इस तरह हैं.
झुलासन के करीब पांसर में सैयद परिवार में डोला नाम की मुस्लिम महिला के पीछे एक बार कुछ मुस्लिम लूटेरे पड़ गए तब डोला झुलासन गांव में एक बरगद के पेड़ के निचे छुप गई जहा सिद्धेश्वरी का वास था, डोला के पास काफी गहने थे , डोला ने माता से कहा की भले ही लूटेरे सारे गहने लूट ले लेकिन उनकी इज़्ज़त पर हाथ न डाले तब मां ने उन्हें अपने अंदर बसा लिया वहा सिर्फ फूलों का ढेर रह गया और तब से डोला माता वही रहकर गांव की रक्षा करने लगीं.
डोला माता के बारे में ये भी कहा जाता है तकरीबन 700 साल पहले एक डोला नाम की मुस्लिम महिला थीं. जिन्होंने अपने गांव को हुड़दंगियों के कहर से बचाने के लिए लड़ाई लड़ी थी. हुड़दंगी कई बार तालाब के पानी का बहाव गांव की तरफ कर देते थे. जिससे गांव का नुकसान होता था और लड़ाई भी, ऐसे में डोला माता ने हुड़दंगीयो का मुकाबला किया और गांव वालों की जान बचाने की इस लड़ाई में उसकी जान चली गई थी.
लोगों का तो यहां तक कहना है कि मरने के बाद ‘डोला’ का शरीर फूलों में बदल गया था. इसके बाद लोगों ने इसे चमत्कार मानते हुए उसी जगह पर एक मंदिर बनवा दिया और नाम रख दिया ‘डोला मंदिर’. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस मंदिर में डोला की कोई मूर्ति नहीं है, केवल एक पत्थर का यंत्र है. उसी के ऊपर साड़ी डालकर उसकी पूजा की जाती है.
इस मंदिर में पूजा करने आने वाले ज्यादा हिन्दू लोग होते हैं. सुबह-शाम पुरे विधि विधान से यहां डोला माता की पूजा की जाती है. लोग मानते हैं कि यहां आने वालों की हरेक भक्त की मुराद पूरी होती है. यहां मन्नत मांगने का भी अनोखा ही तरीका है लोग मन्नत पूरी होने के बाद यहां डोला माता की सवारी घोडे का चढ़ावा चढ़ता है.
पहले डोला माता का मंदिर मकबरे और मंदिर दोनों से मिलता जुलता था बाद में झुलासन गांव के अमेरिका में बस चुके 1500 भक्तो ने 2002 में मंदिर का जीर्णोद्धार कर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया, मंदिर में निर्माण के वक्त भी लोगो को कई चमत्कार के अनुभव हुए थे, मंदिर निर्माण के दौरान 1500 वॉट का बिजली का तार टूट कर गांव के कई घरो पर गिरा लेकिन किसी को भी नुकशान नहीं हुआ.
डोला मंदिर की इस मुस्लिम देवी के प्रति लोगो की इतनी श्रद्धा है की अपने हर शुभ काम की शुरुआत डोला माता के दर्शन से ही करते है, हसमुख पटेल जिन्हे लोग मास्टर कहकर बुलाते है उनका दिन बिना माता के दर्शन के शुरू नहीं होता, ललित पटेल को 46 साल हो गए लेकिन वह बचपन से डोला माता के दर्षन करते आए हैं, मंदिर के पुजारी दिनेश पंड्या जो सुनीता विलियम के रिश्तेदार भी है सालो से डोला माता की पूजा अर्चना कर रहे है उन्हें भोग लगाए बिना खुद अन्न का दाना नहीं ग्रहण करते.