मथुरा. 2 जून 2016 को मथुरा के जवाहर बाग में पुलिस और एक कथित बाबा रामवृक्ष यादव के समर्थकों के बीच हुए मुठभेड़ की जांच के लिए सीबीआई की टीम घटनास्थल पर जांच के लिए पहुंची. टीम ने उस जगह का फॉरेंसिक निरीक्षण किया जहां एसपी मुकुल द्विवेदी की हत्या की गयी थी.
सीबीआई ने हर उस बिंदु की गहनता से जांच की है. इस दौरान उन सभी पुलिस अधिकारियों को भी मौके पर बुलाया गया जो इस दिन यहां मौजूद थे.
जवाहर बाग़ का करीब 3 घण्टे तक स्थलीय निरीक्षण करने के बाद टीम ने शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी के साथ मौजूद रहे सभी अधिकारियों के भी बयान लिए.
गौरतलब है कि शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी और 9 अन्य लोगों की याचिका पर हाईकोर्ट ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है.
माना जा रहा है कि सीबीआई के रडार पर मथुरा से लखनऊ तक के वो तमाम अधिकारी है जो उस समय अपने पदों पर बने हुए थे. सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं से भी सीबीआई पूछताछ कर सकती है.
क्या था मामला
दरअसल जय गुरुदेव के अनुयायी रामवृश्र यादव ने अपने सशस्त्र अनुनायियों के साथ मिलकर मथुरा के जवाहर बाग पार्क में कई सालों से कब्जा रखा था.
यूपी के गाजीपुर जिले में रहने वाला रामवृक्ष यादव ने पूरे इलाके में गुंडागर्दी और एक तरह से समानांतर सरकार चला रखी थी.
एसपी मुकुल द्विवेदी की अगुवाई में जब एक टीम मौके पर इस कब्जे को छुड़ाने पहुंची तो रामवृक्ष के समर्थकों ने हमला कर दिया और इसी बीच किसी ने मुकुल द्विवेदी के सर को निशाना बनाकर उनको गोली मार दी और वह मौके पर ही शहीद हो गए. इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हुए भी थे.
इसके बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया. पुलिस के सामने जवाबी कार्रवाई के सिवाए कोई और चारा न था. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह थी कि रामवृक्ष की सुरक्षा के लिए उसके साथ महिलाएं भी मौजूद थीं.
काफी समझाने के बाद भी जब वह लोग नहीं माने तो पुलिस ने भी हमला बोल दिया और इस कार्रवाई में रामवृक्ष को मार गिराया गया.